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Biggest fear before BJP is Rahul Gandhi

fear of what

Today the biggest fear in front of BJP is Rahul Gandhi and due to that fear BJP keeps losing its mental balance. Now comes the fear of what? The economy is one aspect which is related to the life of every Indian and there is a difference between North and South in the economic views of Congress and BJP. Congress is a humanitarian party and the BJP is a feudal fascist party. Congress believes in livelihood, education, health and other human development in the upliftment of human beings and the proof of this is that within ten years of Dr. Manmohan Singh's government, 28 crore people will come above the poverty line.

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किस बात का डर

आज भाजपा के सामने सबसे बड़ा डर राहुल गांधी हैं और उसी डर से भाजपा मानसिक संतुलन खोती रहती है। अब आते हैं किस बात का डर। अर्थव्यवस्था एक पहलू है जो प्रतयेक भारतीय के जीवन से संबंधित है और कांग्रेस तथा भाजपा के आर्थिक विचारों में उत्तर व दक्षिण का फर्क है। कांग्रेस मानवतावादी दल है और भाजपा सामंतवादी फासिस्ट दल। कांग्रेस मानवों के उत्थान मे रोजीरोटी, शिक्षा,स्वास्थ्य तथा अन्य मानवीय विकास में विश्वास रखती है और इस बात का प्रमाण डा मनमोहन सिंह की सरकार मे दस साल के भीतर 28 करोड़ लोगों का गरीबी रेखा से ऊपर आना।



whose ambitions are limited to food

The BJP wants to keep the people as beggars according to the ideology of feudalism, whose ambitions are limited to food only. Show the event on TV, put a skirt on the roads and buildings and just give a bag of food. Modi has also done continuous work in this direction, due to which today man is not able to buy and eat and 23 crore people have come below poverty line under Modi rule.

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जिनकी महत्वाकांक्षायें मात्र खाने तक सीमित

भाजपा जनता को सामंतवाद की सो़च के अनुसार भिखारी बनाकर रखना चाहती है जिनकी महत्वाकांक्षायें मात्र खाने तक सीमित रहे। टीवी पर इवेंट दिखा दो,सड़कों,इमारतों पर झालर लगवाकर बस खाने का झोला दे दो। मोदी ने लगातार काम भी इस दिशा में किये हैं जिससे आज आदमी खरीदकर खा नहीं पा रहा है तथा इसके प्रमाण मोदी शासन में 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गये।



the fuel of the economy is

Congress and Rahul Gandhi are constantly talking about giving cash to the people of the country and the industry, which is the fuel of the economy, so that the purchasing power can increase. I have written many times that India is not a production based economy but a purchase and consumption based economy.

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इकोनामी का ईंधन होता है

कांग्रेस व राहुल गांधी देश की जनता के हाथों तथा उद्योग को नकदी देने की बात लगातार कह रहे हैं जो कि इकोनामी का ईंधन होता है जिससे खरीद की क्षमता बढ़ सके। मै तमाम बार लिख चुका हूं कि, भारत एक उत्पादन आधारित इकोनामी नहीं, खरीद व उपभोग आधारित इकोनामी है।



If Rahul Gandhi becomes PM then

Be aware that America, where purchasing power is already more than India. Even on this, since Corona, America has given three installments of one thousand dollars to the citizens of its country. If Rahul Gandhi becomes PM, then he started working with capable economists. With this, as soon as five seven thousand rupees come into the hands of the people of the country and the economy boom, the people will become crazy about Rahul. If a person can be happy with a bag of five kilos, then what will be the condition of his happiness with five thousand rupees. With its effect, the walls of casteism will be broken. Which is the so called social engineering of BJP and BJP will be out of the political scene for years.

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अगर राहुल गांधी पीएम बनते हैं तो

विदित हो कि अमरीका जहाँ की ख़रीद की क्षमता पहले से ही भारत से ज़्यादा है। इस पर भी कोरोना के बाद से अमरीका अपने देश के नागरिकों को एक हज़ार डालर की तीन किश्तें दे चुका है। अगर राहुल गांधी पीएम बनते हैं तो, उन्होंने क़ाबिल अर्थशास्त्रियों के साथ काम करना शुरू किया। इसी के साथ जैसे ही देश की जनता के हाथों पांच सात हजार रुपए आये और इकोनामी बूम की तो, जनता राहुल की दीवानी हो जायेगी। जो जनता पांच किलो के झोले से खुश हो सकती है तो भला प़ाच सात हजार रुपये से उसकी खुशी का क्या हाल होगा। इसके असर से जातिवाद की दीवारें टूट जायेंगी। जोकि भाजपा की तथाकथित सोशल इंजीनियरिंग है और बरसों के लिए भाजपा राजनीतिक परिदृश्य से ओझल हो जायेगी।

प्रवीण द्विवेदी भारतवासी की क़लम से



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