वैश्विक महामारी Covid-19 और सरकार की विफलता
वैश्विक महामारी Covid-19 और सरकार की विफलता
पहले सी अब दिखती नहीं हैं,
रौनकें बाजार की।
हर ओर सन्नाटा यहां,
हर रोज़ बढ़ते फ़ासले,
हर रोज़ मौतें बढ़ रहीं,
हर ओर दुख के क़ाफ़िले।
कैसी महामारी चली,
धुन थम गयी संसार की।
वे वक़्त के मज़दूर हैं,
पर वक्त से मजबूर हैं,
ताले लगे, रास्ते रुके,
जाएं कहां वे दूर हैं।
सुनता कहां मालिक भला,
चीखें यहां लाचार की।
है पीठ पर गठरी लदी,
औ कांध पर बच्चे लदे,
जाना है मीलों दूर तक,
पर प्राण फंदों में फंदे।
है जान सांसत में पड़ी,
खुद ही यहां सरकार की।
कैसा भयंकर वायरस,
जीवन हुआ इससे विरस,
हर शख़्स संक्रामक हुआ,
वर्जित हुआ उसका परस।
बस मास्क में महफूज है,
सांसें सकल संसार की।
संदिग्ध है हर छींक तक,
संगीन है वातावरण,
अस्पृश्यता ने हर लिया,
है सभ्यता का आवरण।
चूलें एकाएक हिल उठीं,
अस्तित्व के दीवार की।
है चीन से फैला ज़हर,
ईरान पर बरपा क़हर,
इटली बना शमशान है,
बज उठा यू.एस में बज़र।
संभावनाएं क्षीण हैं,
इस व्याधि के उपचार की।
ठप हुए उत्पादन सभी,
चुक रहे संसाधन सभी,
शेयर सभी लुढ़के पड़े,
बेअसर आह्वाहन सभी।
मंदी ने तोड़ी है कमर,
दुनिया के कारोबार की।
18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक, भारत में कल तक कोरोना वायरस के लिए कुल 26 करोड़ 94 लाख 14 हजार 35 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं, जिनमें से 15 लाख 19 हज़ार 486 सैंपल कल टेस्ट किए गए। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल शाम 6 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये वैक्सीन निर्माताओं के साथ बैठक की। देश में एक मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी।
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वैश्विक महामारी Covid-19 और सरकार की विफलता लेकिन सरकार व उसके अधिकारी सिर्फ़ तमाशबीन बने हुए हैं।
कोरोना महामारी दिन प्रति दिन अपने प्रचंड रूप के साथ हमारे देश में विकराल रूप लेती जा रही है। जिसका नतीजा यह है कि देश की जनता मौत का ग्रास बनती जा रही है। वैश्विक महामारी Covid-19 और सरकार की विफलता लेकिन सरकार व उसके अधिकारी सिर्फ़ तमाशबीन बने हुए हैं। संक्रमण तेज़ी के साथ फैलता जा रहा है जिससे मौत के आंकड़े भी निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। वहीँ उत्तर प्रदेश की राजधानी की बात करें तो लखनऊ के हालात बहुत नाज़ुक दिख रहे हैं। शमशान हो या क़ब्रिस्तान हर जगह सिर्फ़ मौत का तांडव। हर तरफ बीमार या सिर्फ़ शव दिख रहे हैं, लोगों में डर व्याप्त है चाहे वह अपने लिए हो या फिर अपने परिजनों के लिए।
कोरोना संक्रमण के आंकड़े खौफ पैदा कर रहे
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अब कोरोना संक्रमण के आंकड़े खौफ पैदा कर रहे हैं। कोरोना प्रदेश में पूरी तरह से अपने पैर पसार चुका है। पिछले 24 घंटों के आंकड़ाें पर नजर डाली जाए तो 33214 नए संक्रमित आए सामने आए हैं। लखनऊ की बात की जाए तो यहां पर ही करीब 5902 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। वहीं 14198 लोग इस संक्रमण से जंग जीत अस्पताल से डिस्चार्ज भी हो गए हैं।
जनता करे तो क्या करे
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की तो लखनऊ के सी0एम0ओ0 (Chief Medical Officer) को पिछले 72 घंटे से एक बुज़ुर्ग कोरोना मरीज़ अभय श्रीवास्तव की पत्नी व बच्चे फ़ोन कर कर के थक गए, लेकिन उनका फ़ोन उठ नही रहा है या बंद जा रहा है। ऐसे में आम जनता के पास कोई विकल्प ही बचा नहीं है। जनता डरी या सहमी हुई है क्योंकि हॉस्पिटल्स में बेड नही, बेड है तो ऑक्सिजन नहीं ऑक्सिजन है तो वेंटिलेटर नहीं और वेंटीलेटर है तो जीवन रक्षक इंजेक्शन (Remdesivir) नहीं। जनता करे तो क्या करे, सिवाय इसके कि अपनी या अपने परिजन की तड़पते हुए मौत का इंतज़ार।
ऑक्सीजन और जीवन रक्षक इंजेक्शन की खुलेआम कालाबाज़ारी
बेहद कठिन परिस्तिथियाँ हैं, परिस्तिथियों से नहीं लगता कि इस पर जल्द क़ाबू पा सकेंगे। लोग यह नही समझ पा रहे कि इस महामारी का अंत कब और कैसे होगा ? क्योंकि सरकारी तंत्र सिर्फ़ मीडिया के सामने आकर झूठ की किताब खोल देता है और फिर ग़ायब। धरातल पर स्थिति बहुत विकट है। राजधानी लखनऊ में सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट!!! न बेड है न ही जीवन रक्षक इंजेक्शन(Remdesivir) और न ही ऑक्सीजन। प्राइवेट अस्पतालों का यह हाल है कि अगर चले गए तो कहिये कि सब कुछ ख़त्म करके भी अपनों को नहीं बचा पा रहे हैं। ऑक्सीजन और जीवन रक्षक इंजेक्शन की खुलेआम कालाबाज़ारी या फिर यूँ कहें कि "आपदा में अवसर" को तलाश लिया गया है।
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शमशान हो या कब्रिस्तान!!! वहां पर भी 06 से 08 घंटे पहले टोकन
यहां तक कि शमशान हो या कब्रिस्तान!!! वहां पर भी 06 से 08 घंटे पहले टोकन लेना पड़ रहा है और मुख्यमंत्री जी एवं उनके कारिंदे कहते हैं कि स्थिति कंट्रोल में है।
हर शख़्स अपने परिवार व इष्टों को लेकर परेशान है। कोई दिन ऐसा नही गुज़र रहा कि मौतों की खबरें न सुनने को मिल रही हैं। हर दिन सात से आठ जान्ने वालों की मौत की ख़बर से दिल दहल उठता है। हर शख़्स अपने आप को मौत के क़रीब महसूस कर रहा है। दो दिन पहले हमारे एक पत्रकार मित्र की मौत ने तो रोंगटे खड़े कर दिए। जब हमारे पत्रकार साथी उनको लेकर हॉस्पिटल पहुंचे और उनको काफ़ी रसूख़ के बाद एडमिट किया और दूसरे घंटे में ही हमारे पत्रकार भाई हम सब को छोड़ गए। बात करते हुए सब हॉस्पिटल पहुंचे और मात्र दूसरा घंटा भी नही गुज़रा और हमारा पत्रकार साथी इस दुनिया से रुख़सत हो गया।
देश के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं
कही न कही ये कोरोना महामारी का विकराल रूप सरकार और अधिकारियों की लापरवाही की ही देन है, क्योंकि आम आदमी तो अपनी दिनचर्या में ही ब्यस्त रहता है, पर सरकारें जिन्होंने पिछले लॉक डाउन के बाद से कोई सीख नही ली और स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई काम नही किया। बावजूद इसके कि उसी समय ख़बरें थी कि दूसरा स्ट्रेन बहुत ख़तरनाक होगा। कोई काम नही किया सरकार ने सिवाय इसके कि चुनाव कैसे कराने हैं, रैलियों में भीड़ कैसे इकट्ठा करनी है और चुनाव कैसे जीतना है।
देश के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और जनता के दम पर राजनीतिक पार्टियां जनता का ही इस्तेमाल करते हुए आज उनके सारे सुख चैन को छीन चुकी हैं। हमें जागरूक होना पड़ेगा।