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Controversy in Lucknow: Business of Selling Serious Patients Raises Concerns

Big Controversy in Lucknow

उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ का मेडिकल कॉलेज (KGMU) बनता जा रहा है दलालों का अड्डा, खुल कर चल रहा है गंभीर मरीज़ो को बेचने का कारोबार। सरकारी तंत्र कों ठेगा दिखाते हुए वाइट कॉलर माफ़िया निजी अस्पताल चला रहे हैं और धन उगाही कर रहे हैं।

सरकारी सुविधाओं के लिए माने जाने वाले इस मेडिकल कॉलेज से बेहतर सुविधा कहीं नहीं

लखनऊ: (Controversy in Lucknow) किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (King George's Medical University) जिसे हम आप लखनऊ के मेडिकल कॉलेज के नाम से भी जानते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित इस मेडिकल कॉलेज (Medical College) में प्रदेश भर से ही नहीं बल्कि पडोसी देश नेपाल तक से गंभीर बीमारियों का इलाज कराने मरीज़ लाये जाते हैं। इसी मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेण्टर में आकस्मिक चिकित्सा हेतु परिजन अपने गंभीर मरीज़ों को इलाज के लिए लाते है। मरीज़ों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं के लिए माने जाने वाले इस मेडिकल कॉलेज से बेहतर सुविधा कहीं नहीं है।

ट्रामा सेण्टर के बाहर मरीज़ों को बेचा जा रहा

आपको बता दें आज इसी मेडिकल कॉलेज के नाम पर ग्रहण लग रहा हैं। कुछ लुटेरे प्रवृति के लोग ट्रामा सेण्टर (Trauma Center) के बाहर मरीज़ों को खुलेआम निजी अस्पतालों में बेच रहे है। सूत्रों के अनुसार इस कार्य में कॉलेज प्रशासन के कई ज़िम्मेदार से लेकर डॉक्टर और यहाँ तक कि गार्ड तक शामिल हैं। एक तरह से इनको सफेद कॉलर मेडिकल माफिया भी कहा जा सकता है। अगर खबर चलाने वाले पत्रकार या सूचना देने वाले व्यक्ति का पता चल जाए तो उसको नुकसान पहुंचाने में भी गुरेज़ नहीं करते हैं यह दलाल। आये दिन निजी अस्पातालों से मिले पैसों के बंटवारे को लेकर इन दलालों में विवाद भी देखा गया है जिसकी ख़बर हम अपने चैनल के माध्यम से पहले भी दिखा चुके हैं।

लाखों रुपयों का है एक दिन का कारोबार

अहम बात यह है कि केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में दलालों को पकड़ने व् रोकथाम लगाए जाने पर प्रशासन और जिम्मेदार आला अधिकारी भी आंख मूंदे बैठे है। सूत्रों की माने तो लाखों रुपयों का होता है एक दिन का यह कारोबार। लगातार खबरों के माध्यम से जानकारी दी जाने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक नहीं ले रहा है कोई भी सुध। जिससे ग़रीब मरीजों को नही मिल पाती हैं सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं और बन जाते है इन निजी अस्पताल चलाने वाले व्हाइट कॉलर माफियाओं का शिकार।

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नियम विरुद्ध चल रहे अस्पताल और नर्सिंग होम

अगर देखा जाए तो इसी मेडिकल कॉलेज से चंद मीटर की दूरी पर अनगिनत अस्पताल और नर्सिंग होम चलाये जा रहे हैं। लखनऊ के कोनेश्वर मंदिर से लेकर काकोरी तक अनगिनत अस्पताल और नर्सिंग होम चल रहे हैं। GNN चैनल द्वारा कि गयी एक पड़ताल में पता यह चला था कि यह सभी अस्पाताल/नर्सिंग होम नियमों के विरूद्ध चलाये जा रहे हैं। जिन पर स्वास्थ्य विभाग और ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आँख मूंदे बैठे हैं। इन अस्पाताल/नर्सिंग होम पर कार्यवाही करने वाला कोई भी नहीं है। इस तरह तो कोई भी जन निजी अस्पताल इन दलालों के ज़रिए खोल सकता है और चला सकता है अपनी दुकान। अस्पताल कैसा भी हो, डॉक्टर हो या ना हो, झोला छाप डॉक्टर भी हो तो चलेगा, सिर्फ दलाल संपर्क में होना चाहिए।

दलालों को ढूंढने की ज़रूरत नहीं

दलाल आपको ढूंढने की ज़रूरत नहीं लखनऊ के केजीएमयू के बाहर थोक के हिसाब से मिल जायेंगे। ज़्यादातर तो निजी एम्बुलेंस के ड्राइवर के रूप में आसानी से देखे जा सकते हैं। दिन हो या रात केजीएमयू के बाहर दलालों का अड्डा लगातार बना रहता है। हर तरह के दलाल मिलते है यहां पर कुछ दलाल अपनी महंगी कारों से भी आते है। निजी अस्पताल वालों से मरीज़ के बदले मोटी रकम उठाते हैं यह दलाल।

पुलिस भी रहती ख़ामोश

क्षेत्र कि पुलिस भी जानते हुए भी रहती है ख़ामोश, आखिर इसके पीछे क्या राज़ है? कभी कोई दलाल पुलिस के हत्थे चढ़ भी जाते है तो इन निजी अस्पताल के मालिक आला अधिकारी से कॉल करा कर मामले को निपटा देते हैं। गरीबों को मुफ्त मिलने वाले इलाज से वंचित रखा जाता है। एक बार मरीज़ निजी अस्पताल में पहुंच गया तो घर, दुकान व ज़मीन बेचकर परिजनों का इलाज कराने को मजबूर किया जाता है।

सोचने वाली बात है और सवाल बहुत बड़ा है कि आखिर कौन है इनके पीछे??

मुख्यमंत्री Yogi Aditynath को ऐसी अराजकता (Controversy in Lucknow) पर तत्काल ध्यान देना होगा ताकि ग़रीब तीमारदार और परिवारजन को अपने मरीज़ के इलाज के साथ साथ सरकारी सुविधाओं का लाभ भी मिल सके। इसकी जांच भी होना बहुत ज़रूरी है।

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