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Allahabad High Court ने रिट पिटीशन पर दिया नया आदेश।

प्रयागराज:

Allahabad High Court ने पुलिस को सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। मजिस्ट्रेट को भी गिरफ्तारी पर पुलिस रिपोर्ट पर संतुष्ट होने पर ही रिमांड देने का निर्देश दिया है।

28 जनवरी 2021 को Allahabad High Court ने एक रिट पिटीशन (17732/2020) पर फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया कि, पुलिस को सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। मजिस्ट्रेट को भी गिरफ्तारी पर पुलिस रिपोर्ट पर संतुष्ट होने पर ही रिमांड देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पुलिस को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-41(1)बी व 41-ए की शर्तों के तहत ज़रूरी होने पर ही गिरफ्तारी का निर्देश दिया है। चेतावनी दी कि यदि अनावश्यक गिरफ्तारी की गयी तो ऐसे पुलिस अधिकारी पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की कार्रवाई होगी। कोर्ट ने पुलिस को व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सामाजिक व्यवस्था के बीच संतुलन कायम रखने का भी आदेश दिया है।

आदेश की अवहेलना पर पुलिस अधिकारियों पर होगी कार्रवाई।

Allahabad High Court ने प्रदेश के डीजीपी, विधि सचिव व महानिबंधक को आदेश की प्रति व परिपत्र सभी पुलिस थानों के अनुपालनार्थ भेजने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर व न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने एटा के विमल कुमार व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने याची को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी है।
हाईकोर्ट में दायर एक मामले के अनुसार याची की प्रियंका के साथ शादी तय हुई थी। रिंग सेरेमनी के बाद क्रेटा कार की मांग पूरी करने पर ही शादी करने की शर्त लगायी गयी है। इस पर कोतवाली नगर एटा में 28 नवंबर 2020 को दहेज उत्पीड़न के आरोप में एफआइआर दर्ज करायी गयी। पुलिस गिरफ्तारी के लिए याची के घर दबिश दे रही है। याची का कहना था कि धारा-41(1) बी की शर्तों व सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के तहत बिना ठोस कारण सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी करने पर रोक लगी है।

इसके बावजूद पुलिस एफआइआर दर्ज होते ही गिरफ्तारी के लिए दबिश देने लगती है, जो कानून के विपरीत है। इस धारा में आरोपी की हाजिरी की दो हफ्ते की नोटिस देने तथा साक्ष्य व पर्याप्त वजह होने पर ही गिरफ्तार करने का अधिकार है। सामान्यतया पुलिस सात साल से कम सजा वाले अपराध में रूटीन गिरफ्तारी नहीं कर सकती।

कोर्ट ने मजिस्ट्रेटों को भी रूटीन रिमांड न देने का निर्देश जारी किया है। कहा कि बिना ठोस कारण के पुलिस की अभियुक्त को गिरफ्तार करने की रिपोर्ट जिला एवं सत्र न्यायाधीश के मार्फत महानिबंधक को भेजी जाए, ताकि मनमानी करने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई की जा सके। कोर्ट ने कहा कि जिला न्यायाधीश को प्रशासन के साथ मासिक बैठक में इसकी जानकारी दी जाए। कोर्ट ने सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की हाईकोर्ट में लगातार गिरफ्तारी पर रोक की मांग में आ रही याचिकाओं को दु:खद बताया और कहा कि गंभीर अपराधों के सिवाय बिना ठोस वजह के आरोपियों की रुटीन गिरफ्तारी न की जाए। इस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए।

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