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Aligarh Muslim University में गिरफ्तारी के बाद डॉक्टर कफ़ील ख़ान हुए रिहा

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Allahabad Highcourt के आदेश के बाद डॉक्टर कफ़ील ख़ान (doctor kafeel upgovt) को मंगलवार रात रिहा होने के बाद उन्होंने देश के लोगों और न्यायपालिक को धन्यवाद दिया। राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत जेल में बंद डॉक्टर कफ़ील ख़ान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सशर्त ज़मानत दी थी। इसके बाद उन्हें मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया था। नागरिकता संशोधन क़ानून यानी CAA के ख़िलाफ़ डॉक्टर कफ़ील ख़ान ने Aligarh Muslim University में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था।

जेल से निकलने के बाद उन्होंने मीडिया से कहा, "मैं भारत के 138 करोड़ लोगों को शुक्रिया कहना चाहता हूं। जो इस संघर्ष में मेरे साथ खड़े थे। मैं न्यायालय को ये आदेश देने के लिए धन्यवाद करता हूं। जिसमें उन्होंने कहा कि, उत्तर प्रदेश सरकार ने मुझे जेल में रखने के लिए झूठे, आधारहीन और मनगढ़ंत मामले बनाए हैं।"

कफ़ील ख़ान को हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद रिहा किया गया

डॉक्टर कफ़ील ने कहा, "मैं यूपी STF को भी शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, कि जिसने मुंबई से मथुरा लाते हुए मेरा एनकाउंटर नही किया।"
रिहाई के बाद अपने भविष्य के बारे में बात करते हुए डॉक्टर कफ़ील ने बताया कि वह बिहार, केरल और असम में बाढ़ प्रभावित राज्यों में जाकर राहत कार्यों में हिस्सा लेते हुए लोगों की मदद करना चाहते हैं।

कफ़ील ख़ान को हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद रिहा किया गया। उन्होंने यू0पी0 सरकार से उन्हें नौकरी वापस देने की मांग भी की है। कफ़ील ख़ान ने बताया, "मैंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि मुझे वापस नौकरी पर रखा जाए ताकि मैं Corona Warrior की तरह लोगों की मदद कर सकूं।"

 

कफ़ील ख़ान को एनएसए के तहत गिरफ़्तार किया जाना ग़ैरक़ानूनी है

कोर्ट ने गिरफ़्तारी को गलत मानते हुए डॉक्टर कफ़ील ख़ान को दी थी ज़मानत, गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित डॉक्टर कफ़ील ख़ान को नागरिकता संशोधन क़ानून(CAA)के ख़िलाफ़ कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (NSA) के तहत मथुरा की जेल में रखा गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने फ़ैसले में कहा कि कफ़ील ख़ान को एनएसए के तहत गिरफ़्तार किया जाना ग़ैरक़ानूनी है। अदालत ने डॉक्टर कफ़ील ख़ान को तुरन्त रिहा करने का आदेश दिया था। अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा कि डॉक्टर कफ़ील ख़ान का भाषण किसी तरह की नफ़रत या हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं था, बल्कि यह लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता का आह्वान था। कफ़ील ख़ान पिछले छह महीने से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मथुरा जेल में बंद थे।

 

Aligarh Muslim University

बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग पिछले काफ़ी वक़्त से डॉक्टर कफ़ील ख़ान की रिहाई की मांग कर रहे थे। मामला यह था कि, पिछले साल दिसंबर महीने में नागरिकता संशोधन क़ानून यानी CAA के ख़िलाफ़ डॉक्टर कफ़ील ख़ान ने Aligarh Muslim University में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था।

इस मामले में डॉक्टर कफ़ील के ख़िलाफ़ अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में मुक़दमा दर्ज किया गया था। 29 जनवरी को यूपी एसटीएफ़ ने उन्हें मुंबई से गिरफ़्तार किया था। मथुरा जेल में बंद डॉक्टर कफ़ील को 10 फ़रवरी को ज़मानत मिल गई थी, लेकिन तीन दिन तक जेल से उनकी रिहाई नहीं हो सकी और इस दौरान अलीगढ़ ज़िला प्रशासन ने उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (NSA) लगा दिया था।

NSA

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी NSA सरकार को किसी भी व्यक्ति को हिरासत में रखने की ताक़त देता है। इस क़ानून के तहत किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है। हालांकि, तीन महीने से ज़्यादा समय तक जेल में रखने के लिए सलाहकार बोर्ड की मंज़ूरी लेनी पड़ती है। रा0सु0का0 (NSA) उस स्थिति में लगाया जाता है, जब किसी व्यक्ति से राष्ट्र की सुरक्षा को ख़तरा हो या फिर क़ानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका हो।

फ़िलहाल हाइकोर्ट ने डॉक्टर कफ़ील ख़ान के मामले की सुनवाई करते हुए उनको रिहा कर दिया है। आगे देखना यह है कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार डॉक्टर कफ़ील ख़ान को वापस नौकरी पर रखती है या नही?

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