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Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra reached Ujjain in MP

मंगलवार को राहुल गांधी ने तपोभूमि में बने कीर्ति स्तम्भ का लोकार्पण किया

लखनऊ: मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) सातवें दिन उज्जैन पहुँच गई है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने यहां महाकाल का आशीर्वाद लिया। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) मंगलवार को धर्मधानी उज्जैन पहुँच गई। राहुल गांधी ने तपोभूमि में बने कीर्ति स्तम्भ का लोकार्पण किया। इसके बाद ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर पहुंचकर गर्भगृह में पूजनाभिषेक किया। शासकीय पुजारी के आचार्यत्व में राहुल गांधी ने भगवान महाकाल का पूजन किया।

देश में तपस्वियों का अपमान हो रहा है

बता दें कि, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इस समय मध्य प्रदेश पहुँच चुकी है। जहां पर उन्होंने महाकाल के दर्शन कर पूजनाभिषेक किया। इसके बाद आगरा रोड स्थित सामाजिक न्याय परिसर में आयोजित सभा को सम्बोधित किया। इस सभा में राहुल ने कहा कि, इस देश में तपस्वियों का अपमान हो रहा है। किसान, मज़दूर, छोटे व्यापारी एवं युवा सभी तपस्या करे रहे हैं। जो प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की पूजा करते हैं, उन्हे सब कुछ मिल रहा है। किसानों को बीमा राशि नहीं मिल रही। युवाओं को रोज़गार नहीं मिल रहा है। नोटबंदी, जीएसटी से व्यापारियों को परेशान किया। तीन, चार या पांच लोग जो मोदी की पूजा कर रहे, उन्हें सब कुछ मिल जाता है।

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सब कुछ अपने समय पर होता है -राहुल गांधी

भारत जोड़ो यात्रा से सकारात्मक परिणाम के बारे में एक सवाल पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, "इसने मुझे बहुत धैर्य सिखाया है। पहले मैं एक या दो घंटे में चिढ़ जाता था। अब मैं आठ घंटे तक धैर्य रखता हूँ।" एक अन्य रिपोर्टर के सवाल पर कि, क्या उन्हें इस तरह का जनसंपर्क अभियान पहले शुरू करना चाहिए था ? जिस पर उन्होंने कहा, "सब कुछ अपने समय पर होता है। जब समय सही होता है, तब यह काम करता है।"

'भारत जोड़ो यात्रा' से मिली सीख

एक प्रेस-वार्ता में राहुल गांधी ने कहा, ‘मैंने कई साल पहले राहुल गांधी को छोड़ दिया था। अब वो आपके दिमाग में है, मेरे नहीं।' राहुल गांधी ने ये बातें 'भारत जोड़ो यात्रा' से मिली सीख के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहीं। उन्होंने आगे यह भी कहा, 'समझने की कोशिश करो, यही हमारे देश की फिलोसॉफी है। इसे समझो, यह तुम्हारे लिए अच्छा होगा।"

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मैंने एक साल पहले इसकी विस्तार से योजना बनाई थी

राहुल गांधी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, "इससे पहले ऐसा नहीं होगा। मैंने ऐसी यात्रा के बारे में तब सोचा था जब मैं 25-26 साल का था। यहां तक ​​कि, जयराम रमेश जी को भी नहीं पता, लेकिन मैंने एक साल पहले इसकी विस्तार से योजना बनाई थी। फिर कोविड (Covid-19) या अन्य कारणों से ऐसा नहीं हो सका। इसलिए, अब यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है।" उन्होंने अभियान को भारत के विचार के लिए खड़े होने के लिए एक तपस्या कहा, जिसे आरएसएस-भाजपा द्वारा क्षतिग्रस्त और नष्ट किया जा रहा है।"

वह शीर्ष पद की दौड़ में नहीं हैं

राहुल गांधी की "राहुल गांधी को जाने देना" के बारे में टिप्पणी को कई लोगों ने कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर लौटने से इनकार करने के रूप में देखा। 2019 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में बीजेपी से बैक-टू-बैक हार मिलने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। इतना ही नहीं, उन्होंने ख़ुद को अध्यक्ष पद की रेस से अलग कर लिया और ज़ोर देकर कहा कि, वह शीर्ष पद की दौड़ में नहीं हैं।

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