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Income Tax Raid in Gujrat, बड़ी मात्रा में कालाधन बरामद

Income Tax Raid in Gujarat, Large amount of black money recovered

Income Tax Raid गुजरात: जहां विश्व एक तरफ़ आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रहा है, वहीँ हम बात करें अपने देश की तो राजनेता एवं बड़े उद्योगपति देश को और कंगाल बनाने में लगे हैं। इन दिनों ईडी और इनकम टैक्स की छापेमारी में इतने नोट देखने को मिल रहे हैं जिन्हें देखकर देशवासियों को गुस्सा तो ज़रूर आता होगा। पिछले दिनों पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर नोटों का ढेर देखकर हर कोई हैरान रह गया था। वहीँ अब ख़बर मिल रही है कि, गुजरात में Income Tax Raid में तक़रीबन एक हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा की आय का ख़ुलासा हुआ है।

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गुजरात के एक बड़े बिज़नेस ग्रुप पर Income Tax विभाग की छापेमारी में बड़ी मात्रा में नकदी और ज्वैलरी बरामद

गुजरात के एक बड़े बिज़नेस ग्रुप पर Income Tax विभाग ने छापेमारी कर बड़ी मात्रा में नकदी और ज्वैलरी बरामद की है। पिछले महीने की 20 तारीख को आयकर विभाग की तरफ से यह कार्रवाई की गई है। विभाग ने यह कार्यवाही गुजरात के अहमदाबाद, खेड़ा, मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता के 58 जगहों पर छापा मार कर की थी। जिसके बाद विभाग ने कार्यवाही के बाद यह दावा किया है कि पिछले महीने तलाशी के दौरान अब तक 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेनदेन का पता चला है। इसमें 24 करोड़ रुपये नकद और 20 करोड़ रुपये की कीमत की ज्वैलरी बरामद की गई है।



तलाशी के दौरान कुछ आपत्तिजनक चीज़ें और डिजिटल डाटा मिला

आयकर विभाग ने यह भी बताया है कि, यह ग्रुप बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी करता था। इस बात का खुलासा तब हुआ है जब सर्च टीम तलाशी ले रही थी। दरअसल तलाशी के दौरान कुछ आपत्तिजनक चीज़ें और डिजिटल डाटा मिला है। जिसमें कई और भी ख़ुलासे होने का अंदेशा है। इन्हीं सबूतों की बुनियाद पर कहा जा सकता है कि यह ग्रुप टैक्स चोरी में शामिल था। पता यह भी चला है कि यह बिजनेस ग्रुप कपड़ा, रसायन, पैकेजिंग और एजुकेशन के क्षेत्र में कारोबार कर रहा है।

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ग्रुप की पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के खातों में भी हेरफेर

सेंट्रर्ल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) का कहना है कि ज़ब्त किए गए डेटा से पता चल रहा है कि यह बिजनेस ग्रुप प्रवर्तकों के पर्सनल यूज़ के लिए फ़र्ज़ी ऑर्गनाइंजेशंस के ज़रिए से भी पैसे निकाल रहा था, साथ ही ग्रुप की पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के खातों में भी हेरफेर किया जा रहा था।



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