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In Azamgarh, the pain of the innocent’s family members spilled over | आजमगढ़ में मासूम के परिजनों का छलका दर्द: बेटे की हत्या करने वालों को मिलनी चाहिए थी फांसी की सजा, नौकर ने अपहरण कर की थी हत्या – Azamgarh News


आजमगढ़ में मासूम की हत्या करने वाले दो आरोपियों को आजीवन कारावास।

आजमगढ़ जिले की कोर्ट ने फिरौती के लिए अपहरण कर मासूम छात्र शुभम रुंगटा का अपहरण कर हत्या किए जाने के मामले में कोर्ट ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही इस मामले में दो आरोपी जुवेनाइल कोर्ट में चले गए। कोर्ट द्वारा दो आरोपियो

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19 वर्ष बाद मासूम की हत्या के मामले में फैसला आने के बाद मासूम के माता-पिता बिलख पड़े। वहीं पिता अजीत रुंगटा का कहना है कि हमें उम्मीद थी कि दोषी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई जाएगी। पर भगवान के न्याय पर हमें पूरा भरोसा है। इन 19 वर्षों में बेटे के न्याय की लड़ाई के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

आजमगढ़ के मासूम शुभांग रुंगटा का अपहरण कर की गई थी हत्या।

आजमगढ़ के मासूम शुभांग रुंगटा का अपहरण कर की गई थी हत्या।

मासूम के पिता अजीत रुंगटा ने बताया कि कई लोगों ने मुकदमे वापस लेने की भी बात कही पर हम अपने फैसले पर अडिग रहे। यह बहुचर्चित घटना 31 अगस्त 2006 की है। मासूम शुभांग रुंगटा का अजीत रूंगटा के यहां काम करने वाला नौकर अपने तीन साथियों के साथ 20 लाख रुपए की फिरौती के लिए अपहरण किया था। मासूम की मौत के बाद पूरे शहर ने 19 वर्ष पहले मातम मनाया था।

अपने मासूम बेटे की तस्वीर के साथ मासूम के माता पिता।

अपने मासूम बेटे की तस्वीर के साथ मासूम के माता पिता।

21 अगस्त 2006 को स्कूल जाने के बाद नहीं लौटा मासूम

आजमगढ़ कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 3 जैनेंद्र कुमार पांडेय की अदालत ने सोमवार को सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार वादी मुकदमा अजीत रुंगटा निवासी सदावर्ती का पुत्र शुभांग रूंगटा ज्योति निकेतन स्कूल का छात्र था। रोज की तरह शुभांग रूंगटा 31 अगस्त 2006 को स्कूल गया लेकिन वापस नहीं लौटा। परेशान माता-पिता ने जब तलाश की तो शुभांग की साइकिल स्कूल के साइकिल स्टैंड में ही मिली।

मासूम के पिता अजीत रुंगटा बोले 20 लाख की मांगी गई थी फिरौती।

मासूम के पिता अजीत रुंगटा बोले 20 लाख की मांगी गई थी फिरौती।

31 अगस्त को ही आया था फिरौती के लिए फोन

31अगस्त की ही रात 9 बजे अजीत रूंगटा के फोन पर 20 लाख की फिरौती के लिए फोन आया। संदेह होने पर पुलिस ने सबसे पहले घर में काम करने वाले नाबालिग नौकर को ही उठाया। कड़ी पूछताछ पर नौकर ने स्वीकार किया कि फिरौती के लिए तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर शुभांग का अपहरण किया गया और शुभांग को सिधारी थाना अंतर्गत जमालपुर गांव में प्रमोद यादव के घर में रखा गया था।

पहचान लिए जाने के डर से गला दबाकर शुभांग की हत्या करके शारदा टॉकीज के पास नदी किनारे सरपत के झुरमुट में लाश को फेंक दिया गया। नाबालिग नौकर की निशानदेही पर शुभांग की लाश 2 सितंबर 2006 को बरामद की गई थी।

आजमगढ़ के शासकीय अधिवक्ता दीपक कुमार मिश्रा हुए भावुक, आठ गवाहों को किया पेश।

आजमगढ़ के शासकीय अधिवक्ता दीपक कुमार मिश्रा हुए भावुक, आठ गवाहों को किया पेश।

आठ गवाहों की हुई गवाही

पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद प्रमोद यादव उर्फ़ बलऊ यादव निवासी जमालपुर अजीत कुमार शर्मा निवासी हर्रा की चुंगी तथा दो नाबालिग आरोपियों के विरुद्ध नवंबर 2006 में चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया। दोनों नाबालिग आरोपियों की पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड भेज दी गई।

अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता दीपक कुमार मिश्रा ने वादी मुकदमा अजीत रुंगटा समेत आठ गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों के दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी प्रमोद यादव उर्फ बलऊ तथा अजीत कुमार शर्मा को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को 45000 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई ।

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