गाड़ियों का ‘भगवान’ था ये इंजन, 24-24 कारों ने किया यूज, आजतक किसी दूसरे इंजन ने नहीं कमाई इतनी इज्जत
नई दिल्ली. आज भारत में आपको एक-दो छोड़ कर शायद ही कोई हैचबैक कार डीजल इंजन में मिलेगी. लेकिन एक समय था जब भारत में छोटी डीजल गाड़ियां काफी लोकप्रिय हुआ करती थीं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनमें से भी ज्यादातर गाड़ियों में एक ही इंजन का इस्तेमाल किया जा रहा था. हालत ये थी कि 24 कारों में इस एक इंजन का इस्तेमाल होने लगा था. इस वजह से इसे देश का “नेशनल डीजल इंजन” कहा जाने लगा था. अगर इस कार की अहमियत को देखा जाए तो इसे गाड़ियों का ‘भगवान’ कहना गलत नहीं होगा.
फिएट के 1.3 लीटर मल्टीजेट डीजल इंजन को भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में क्रांति लाने के लिए जाना जाता है. इसने भारतीय सड़कों पर एक लंबा और सफल सफर तय किया है. 2000 के दशक में भारत में पेश किया गया यह इंजन अपनी बेहतरीन माइलेज, दमदार परफॉर्मेंस और कम मेंटेनेंस लागत के कारण मध्यम वर्गीय ग्राहकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया था. इस इंजन ने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में क्रांति ला दी और कई प्रमुख कार निर्माताओं की पसंद बना रहा. इस लेख में हम आपको इस इंजन के सफर के बारे में बताने वाले हैं और बताएंगे कि यह इंजन भारत में इतनी पाॅपुलर क्यों हुई.
इंजन की शुरुआत और सफलता
1.3 लीटर मल्टीजेट इंजन को सबसे पहले फिएट ने भारत में 2000 में पेश किया, लेकिन यह फिएट की गाड़ियों तक सीमित नहीं रहा. इस इंजन ने टाटा और मारुति सुजुकी जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियों के साथ-साथ प्रीमियर जैसी लीजेंडरी कंपनियों की कारों में भी अपनी जगह बनाई. टाटा की लोकप्रिय कारें टाटा इंडिका और टाटा इंडिगो, और मारुति की बेस्टसेलर कारें स्विफ्ट, डिजायर और रिट्ज इसी इंजन पर चलती थीं. वहीं, शेव्रोले भी भारत में अपने माॅडलों में इस इंजन का इस्तेमाल कर रही थी. कुल मिलाकर उस समय 24 माॅडलों में इस इंजन का इस्तेमाल किया जा रहा था. मारुति अपनी 25% माॅडलों में इस एक इंजन का इस्तेमाल कर रही थी.
बेहतर माइलेज और प्रदर्शन
1.3 लीटर मल्टीजेट इंजन को अपनी जबरदस्त माइलेज और बेहतरीन परफाॅर्मेंस के लिए जाना जाता था. आमतौर पर इस इंजन से लैस कारें 20 से 24 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती थीं, जो उस समय भारतीय बाजार में एक महत्वपूर्ण आकर्षण था. इसकी लो मेंटेनेंस लागत और लंबे समय तक चलने वाली विश्वसनीयता ने इसे कई ग्राहकों की पहली पसंद बना दिया.
बीएस4 से बीएस6 तक का सफर और चुनौतियां
2017 में भारत सरकार ने बीएस4 उत्सर्जन मानकों को लागू किया, जिसके बाद भी यह इंजन अपनी लोकप्रियता बनाए रखने में सफल रहा. हालांकि, जब 2020 में बीएस6 उत्सर्जन मानक लागू हुए, तो फिएट ने इस इंजन को अपडेट न करने का निर्णय लिया. मारुति ने फिएट के अधिकारियों के साथ एक मीटिंग में बीएस6 मानकों के अनुसार इस इंजन को अपडेट नहीं करने का फैसला लिया. इसकी वजह यह थी कि बीएस6 मैन्डेट के अनुसार इस इंजन को अपडेट करना फाफी खर्चीला सौदा था.
बीएस6 मानकों के लागू होने के बाद, फिएट 1.3 लीटर मल्टीजेट इंजन का भारतीय बाजार में सफर समाप्त हो गया. इसके साथ ही, मारुति और टाटा जैसी कंपनियों ने भी इस इंजन का इस्तेमाल बंद कर दिया. हालांकि, इस इंजन ने अपने समय में भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को नई दिशा दी और डीजल कारों के प्रति ग्राहकों का रुझान बढ़ाया. बीएस6 मानकों के बाद इसका युग समाप्त हो गया, लेकिन इसकी विरासत अभी भी कई पुरानी गाड़ियों में जीवित है.
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FIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 19:13 IST