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Up: Excessive Courtroom Provides Choice On Custody Of Youngsters. – Amar Ujala Hindi Information Stay


– फोटो : अमर उजाला

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि जन्म देने वाली मां नाबालिग बच्चों की बचपन की जरूरतें पूरी करने समेत परवरिश करने के लिए सर्वोत्तम है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने तीन नाबालिग बच्चों को उनके सौतेले भाई से लेकर जन्म देने वाली मां को सौंपने का आदेश दिया।

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न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की एकल पीठ ने यह फैसला जैविक माता की याचिका को मंजूर करके दिया। जन्म देने वाली माता ने अपने तीन नाबालिग बच्चों को उनके सौतेले भाई से लेकर खुद के सुपुर्द करने की गुजारिश की थी। बच्चों के पिता की मृत्यु होने के बाद वे तीनों अपने सौतेले भाई के साथ रह रहे थे। यह मामला प्रतापगढ़ जिले का था।

उधर, मामले पक्षकार सौतेले भाई की ओर से कहा गया कि बच्चों के पिता की मृत्यु के बाद उनकी जैविक माता ने ससुराल में रहना छोड़ दिया था। तब से वह उनकी देखभाल के साथ जरूरतें पूरी कर रहा है। सौतेले भाई ने बच्चों की सुपुर्दगी की मांग को लेकर, जैविक माता द्वारा दाखिल इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की पोषणीयता पर भी सवाल उठाए।

इस पर, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानूनी अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा किसी परिजन या संबंधी से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से मांग सकता है। कोर्ट ने कहा इस मामले में चूंकि बच्चे अपने किसी कानूनी अभिभावक के पास नहीं हैं, ऐसे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय है। इस कानूनी व्यवस्था के साथ कोर्ट ने याचिका मंजूर कर तीनों नाबालिग बच्चों को उनकी जैविक माता को सौंपने का आदेश दिया।

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