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On the earth of globalization, we can not go towards overseas languages | विदेशों से जुड़ने के लिए उनकी संस्कृति समझना जरूरी: वाराणसी में बोले विदेश मंत्री- काशी क्योटो का स्पेशल रिश्ता,कॅरियर में इंग्लिश नहीं बनना चाहिए बैरियर – Varanasi Information


वाराणसी में स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से सनबीम वरुणा में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें मुख्य अतिथि विदेश मंत्री एस जयंशकर ने शिक्षा के साथ सशक्तिकरण और बेहतर कल के लिए शिक्षण विषय पर छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब वि

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साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में स्कूल, कॉलेज की संख्या डबल हुई है। पिछले 10 सालों में 390 यूनिवर्सिटी, 7000 स्कूल खुले हैं। बिजनेस, इंफ्रास्ट्रक्चर और आत्मनिर्भर बनने से दुनिया भारत को रिस्पेक्ट की नजर से देख रही है। इस दौरान शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने उनसे सवाल भी पूछे। जिसका उन्होंने जवाब दिया।

विदेश मंत्री ने शिक्षा और देश के विकास पर बातें की।

शिक्षकों की भागीदारी जरूरी

बढ़ती अर्थव्यवस्था में ह्यूमन रिसोर्स की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। इसमें इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षकों व अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की डिमांड होती है। तो इसकी तैयारी शिक्षा से होती है। ह्यूमन रिसोर्स तैयार करने में शिक्षकों की भूमिका अहम होती है।

उन्होंने कहा कि 1947 से 2014 तक के हिसाब से हायर एजुकेशन पिछले 10 सालों में डबल हुई है। पहले कैसे चलता था, अब कैसे चल रहा है लोगों को नजर आ रहा है। पिछले 10 साल में हायर लर्निंग मेडिकल, टेक्निकल कॉलेज की संख्या दोगुना हुई है।

इसको चलाने में शिक्षकों की जिम्मेदारी सबसे महत्वपूर्ण है। शिक्षक अच्छे पार्टनर न हो तो ये जिम्मेदारी केवल सरकार और राज्य नहीं उठा सकता है। इसमें सरकार और शिक्षकों की भागीदारी है। इसमें शिक्षक, सरकार, पब्लिक और छात्र-छात्राएं सभी शामिल हैं।

कार्यक्रम में दर्शक रहे मौजूद।

कार्यक्रम में दर्शक रहे मौजूद।

काशी क्योटो का है स्पेशल रिश्ता

कार्यक्रम के दौरान एस जयशंकर ने कहा कि यदि हमें दूसरे देशों से कनेक्ट रहना है, तो उनकी संस्कृति, उनकी सोच ये भी हम सभी को समझना होगा। काशी क्योटो का स्पेशल रिश्ता है। जो प्रधानमंत्री ने बनाया था। साथ ही मेरे लिए जापान के साथ एक और कनेक्शन बन गया था।

साथ ही कहे कि यूएई के साथ एक स्किल सेंटर बन गया है। सेंटर बनाने का कारण कि यहां के लोगों की खाड़ी में अत्यधिक डिमांड रहती है। इसकी तैयारी कैसे हो। इसके लिए सेंटर बनाया गया है। टेक्नोलॉजी, ग्लोबलाइजेशन, समावेशी भारत को कैसे इस पर विचार करना चाहिए। हमारा भारत देश प्राचीन संस्कृति है। हमें अपनी छवि अपनी पहचान दुनिया के आगे बढ़ाना चाहिए। जिसको लेकर काम हो रहा है।

एआई और ड्रोन को चलाने के लिए लोगों की होगी जरूरत, बढ़ेगा रोजगार

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आने वाले समय में एआई टीचिंग और लर्निंग को बदल देगा। इससे देश और युवाओं का लाभ होगा। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का युग होगा, ड्रोन की दुनिया होगी लेकिन इन सब को चलाने के लिए ह्यूमन रिसोर्स की जरूरत होगी।

जिससे रोजगार बढ़ेगा। साथ ही कहा कि अमेरिका, जापान, जर्मनी जैसे विकसित देश भारत के साथ मोबिलिटी एग्रीमेंट बनाने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि अब वो जमाना आ चुका है। अब ऑफिस की कोई सीमा नहीं है। बाहर का काम आपके यहां भी आ सकता है। वर्तमान में एजुकेशन सिस्टम बदल रहा है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर से छात्रों ने पूछे सवाल।

विदेश मंत्री एस जयशंकर से छात्रों ने पूछे सवाल।

कॅरियर में इंग्लिश नहीं बनना चाहिए बैरियर

एक छात्र ने भाषा को लेकर सवाल पूछा। इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि जितना हम भारतीय भाषा में लोगों को ऑप्शन दे सकें उतना अच्छा होगा। इंग्लिश बैरियर नहीं बनना चाहिए। बस इंग्लिश जानने वाले आगे बढ़े। ये अन्याय होगा। ये कहना आसान है लेकिन करने के लिए तैयारी करनी होती है।

ग्लोबलाइजेशन की दुनिया में किसी को फॉरेन लैंग्वेज के खिलाफ नहीं होना चाहिए। इसका भी अपना उपयोग होता है। इंग्लिश के अलावा लोगों को अन्य विदेशी भाषाओं में भी रुचि है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषा में जो अपनी शिक्षा आगे ले जाना चाहते हैं। उनके साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। उनके लिए बेहतर फील्ड बनाने की जरूरत है।

आनंद मिश्रा ने एस जयशंकर से सवाल पूछा कि आने वाले 10 सालों में इंडिया फॉरेन पॉलिसी में भारत की क्या अपॉर्चुनिटी और चैलेंज हैं। विदेश मंत्री ने प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि टेक्नोलॉजी से डील करना भारत के लिए बड़ा विषय है। जिसको लोगों को एडजस्ट करना होगा और एजुकेशन में बदलाव की बात कही। साथ ही कुछ छात्राओं ने भारत की विदेश नीति, चीन व अन्य मुद्दों पर सवाल पूछा।

एस जयशंकर ने दिया छात्राओं को ऑटोग्राफ

एस जयशंकर ने दिया छात्राओं को ऑटोग्राफ

विद्यार्थियों को दिया विकसित भारत का दिया संदेश

कार्यक्रम के दौरान छात्राओं ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से ऑटोग्राफ भी लिया। किसी ने एस जयंशकर के स्केच पर तो किसी ने किताब पर ऑटोग्राफ लिया। इस दौरान बच्चों ने फोटो खिंचवाय। पूरे कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों में काफी उत्साह दिखा।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से विदेश मंत्री ने सरलता से प्रश्नों का उत्तर दिया वह सराहनीय है। विद्यार्थियों ने कहा कि शिक्षा और भारत की फॉरेन पॉलिसी के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। कार्यक्रम के अंत में एस जयशंकर ने विद्यार्थियों और स्कूल के लिए संदेश लिखा। उन्होंने लिखा कि ‘MAY YOU LEAD THE WAY IN SHARING HUMAN RESOURSE THAT WILL POWER VIKSIT BHARAT’

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