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Air Air pollution:डायबिटीज रोगियों के लिए खतरनाक है बढ़ता प्रदूषण, नए रोगियों के बढ़ने की भी आशंका, बरतें सावधानी – World Diabetes Day 2023 Air Air pollution Raises Danger Of Kind 2 Diabetes How To Forestall It


डायबिटीज वैश्विक स्तर पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या रही है। साल-दर साल डायबिटीज के रोगियों की संख्या में बड़ा उछाल भी देखा जाता रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह अब बढ़ती उम्र के साथ होने वाली समस्या नहीं रही है, युवा और यहां तक कि बच्चे भी इस रोग के शिकार हो रहे हैं। सभी लोगों को डायबिटीज से बचाव के लिए निरंतर प्रयास करते रहने की आवश्यकता है।

डायबिटीज के बढ़ते जोखिमों को लेकर लोगों को अलर्ट करने और इससे बचाव को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।

लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी को डायबिटीज रोग के प्रमुख कारक के तौर पर देखा जाता रहा है, इस बीच हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण भी टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ रहा है। भारत में अपनी तरह के पहले अध्ययन में पाया गया है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। जिस तरह से हर साल हम प्रदूषण के नए स्तर का सामना कर रहे हैं, ये डायबिटीज को लेकर भी चिंता बढ़ाने वाली स्थिति है।

प्रदूषण से मधुमेह और कई अन्य बीमारियों का भी खतरा

दिल्ली और दक्षिण भारत के शहर चेन्नई में किए गए इस शोध में पाया गया कि उच्च मात्रा में PM2.5 कणों से प्रदूषित हवा में सांस लेने से रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और इससे टाइप-2 डायबिटीज की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। सांस के माध्यम से बालों के एक कतरे से 30 गुना पतले PM2.5 के कण रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं जिनसे कई श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा भी हो सकता है।

यह अध्ययन भारत में क्रोनिक बीमारियों पर चल रहे शोध का हिस्सा है जो 2010 में शुरू हुआ था। 

अध्ययन में क्या पता चला?

शोधकर्ताओं ने 2010 से 2017 तक दिल्ली और चेन्नई में 12,000 पुरुषों और महिलाओं के एक समूह का अध्ययन किया और समय-समय पर उनके रक्त शर्करा के स्तर को मापा। उन्होंने पाया कि एक महीने तक PM2.5 के संपर्क में रहने से रक्त शर्करा का स्तर बढ़ गया। वहीं जो लोग एक वर्ष या उससे अधिक समय तक इसके संपर्क में थे उनमें मधुमेह के नए मामलों को भी बढ़ते हुए देखा गया।

क्या कहते हैं शोधकर्ता?

अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक और सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल, दिल्ली के शोधकर्ता सिद्धार्थ मंडल कहते हैं, भारतीय लोगों की पैथोफिजियोलॉजी को देखते हुए हाई बीएमआई के कई अन्य कारकों के चलते इनमें पश्चिमी आबादी की तुलना में मधुमेह होने का खतरा पहले से ही अधिक है। इसमें वायु प्रदूषण भी बड़ा जोखिम कारक बनके उभर रही है।

पिछले 20 से 30 वर्षों में जीवनशैली में गड़बड़ी के साथ वायु प्रदूषण के चलते मधुमेह का वैश्विक बोझ बढ़ रहा है। युवा आबादी भी इस समस्या की शिकार हो रही है जोकि निश्चित ही गंभीर चिंता का विषय है। 

दिल्ली में प्रदूषण और डायबिटीज दोनों का जोखिम अधिक

अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में औसत वार्षिक PM2.5 स्तर 82-100μg/m3 और चेन्नई में 30-40μg/m3 है, जो WHO की सीमा 5μg/m3 से कई गुना अधिक है। भारत का राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक 40μg/m3 हैं। जून में लैंसेट में प्रकाशित एक पेपर के अनुसार भारत की 11.4% आबादी (101 मिलियन लोग) मधुमेह के साथ जी रही है और लगभग 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटिक हैं।

2019 में यूरोपीय संघ में औसत मधुमेह का प्रसार 6.2% और 2016 में यूके में 8.6% था। अध्ययन में पाया गया कि भारत में मधुमेह का प्रसार पिछले अनुमानों से अधिक है और ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी क्षेत्रों में मधुमेह रोगियों की संख्या अधिक है।

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स्रोत और संदर्भ

PM2.5 publicity, glycemic markers and incidence of kind 2 diabetes in two massive Indian cities

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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