Sanjay Gandhi Hospital lock will open… sweets distributed | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई लाइसेंस सस्पेंशन पर रोक, UP सरकार से मांगा जवाब
अमेठी जिला3 मिनट पहले
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अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का ताला अब खुलेगा। यूपी सरकार के लाइसेंस सस्पेंशन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदेश सरकार को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
इधर, अस्पताल को स्टे मिलने के बाद कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अस्पताल परिसर में धरने पर बैठे स्वास्थ्य कर्मियों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हुए कोर्ट के आदेश पर खुशी जाहिर की है। बता दें कि तीन सप्ताह पहले एक महिला की मौत के बाद अमेठी प्रशासन ने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित कर दिया था।
अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के बाद कर्मचारियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के लिए सितंबर के अंतिम सप्ताह में डेट पड़ी, जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए 5 अक्टूबर का समय दिया। आज दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने संजय गांधी अस्पताल को बड़ी राहत देते हुए निलंबित लाइसेंस पर स्टे दे लगा दिया।
कोर्ट के आदेश के बाद स्वास्थ्यकर्मियों ने मिठाई बांटकर खुशी जाहिर की है।
”गुरुवार से खुलेगा अस्पताल”
संजय गांधी अस्पताल के मैनेजर एडमिन सुरेश कुमार ने कहा, ”हाईकोर्ट से स्टे मिला है। अभी आदेश की कॉपी नहीं मिली है। कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलते ही अस्पताल को खोला जाएगा। शाम तक कॉपी आने की संभावना है। गुरुवार को अस्पताल खोला जाएगा।”
अस्पताल परिसर पहुंचे पूर्व MLC
कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह ने कहा कि आज हाईकोर्ट के फैसले से संजय गांधी अस्पताल का ताला खुलने से अमेठी के लाखों भावनाओं की जीत है। आज अमेठी लिए विजय दशमी से कम नहीं क्योंकि आज सत्य जीत हुई है और अज्ञानी का अहंकार और नफरत हारी है। मोहब्बत जीती है। अस्पताल के लिए संघर्ष कर रहे तमाम साथियों की जीत है। उन कर्मचारियों और दुकानदारों की जीत है, जिन्हें बेरोजगार किया जा रहा था।
यह संजय गांधी अस्पताल का कैंपस है।
एक नजर पूरे मामले पर
दिव्या शुक्ला की करीब दो साल पहले रामशाहपुर के अनुज शुक्ला से शादी हुई थी। शादी के एक साल बाद दिव्या ने एक बेटे को जन्म दिया। नाम रखा अन्मेश शुक्ला। दिव्या हमेशा खुश रहती थीं लेकिन कभी-कभी उनके पेट में अचानक तेज दर्द उठता। पति उन्हें मुंशीगंज के संजय गांधी हॉस्पिटल ले गए। जहां जांच होने पर पता चला कि किडनी में पथरी है। परिवार ने फैसला किया कि यहीं ऑपरेशन करवाया जाएगा। 13 सितंबर को जांच पूरी हुई और 14 तारीख को भर्ती के लिए बुलाया गया।
तय समय पर अनुज अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे। वहां भर्ती किया। डॉक्टर मो. रजा को ऑपरेशन करना था। उसके पहले एनेस्थीसिया टीम ने दिव्या को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। तुरंत आईसीयू में भर्ती किया गया। जहां रजा ने देखा तो कहा कि ऑपरेशन करने की स्थिति नहीं है।
10 महीने पहले दिव्या ने बेटे को जन्म दिया था। अस्पताल में भर्ती होने से पहले वह स्वस्थ्य थी।
इसके बाद फिजीशियन डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया। लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। तुरंत लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया। जहां 16 सितंबर को दिव्या की मौत हो गई। दिव्या की मौत के बाद परिजनों ने संजय गांधी हॉस्पिटल में हंगामा कर दिया।
डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। हॉस्पिटल के सीईओ अवधेश शर्मा, सर्जन मोहम्मद रजा, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्दीकी और डॉक्टर शुभम द्विवेदी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। मामला राजधानी लखनऊ तक पहुंच गया। डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने हॉस्पिटल को कारण बताओ नोटिस जारी किया। नोटिस जारी किए हुए 1 दिन भी नहीं बीता कि ब्रजेश पाठक ने हॉस्पिटल को सील करने का आदेश दे दिया।