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Cobotics Middle Began In Delhi Folks From Medical Subject Can Do Analysis Over Human Ailments ANN


Medical Cobotics Middle Begins In Delhi: दुनियाभर में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं, जिसके चलते अलग-अलग सेक्टर में लोग आगे बढ़ा रहे हैं. इस बीच दिल्ली में कोबोटिक सेंटर शुरू हुआ है. इसमें मेडिकल क्षेत्र के लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी. साथ ही साथ इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़े लोगों की ट्रेनिंग भी इस सेंटर में होगी.

कोबोटिक सेंटर में कई तरह के रोबोट ट्रेनिंग के लिए रखे गए हैं. इन रोबोट्स पर अलग-अलग सेक्टर और फील्ड, खास तौर से मेडिकल और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़े के लोग एक्सपेरिमेंट और स्टडी कर सकते हैं.

DST ने दिया फंड
नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम (NMICPS) मिशन के तहत iHub अनुभूति और आई हब फाउंडेशन फॉर कोबोटिक्स IHFC द्वारा संचालित की जाने वाली इस संयुक्त सुविधा को डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DST) ने फंड दिया है.

एक्सपेरिमेंटल सिमुलेशन ट्रेनिंग
मेडिकल कोबोटिक्स सेंटर का उद्देश्य डॉक्टरों, पैरामेडिक्स, तकनीशियनों, इंजीनियरों, बायोमेडिकल शोधकर्ताओं और उद्यमियों के लिए भारत की पहली एडवांस टेक्नोलॉजी-इनेबल मेडिकल सिमुलेशन और ट्रेनिंग फैसिलिटी बनना है. इस सेंटर को देशभर में मेडिकल क्षेत्र के लोगों को एक्सपेरिमेंटल सिमुलेशन ट्रेनिंग प्रदान करने के लिए भी सुसज्जित किया गया है.

यानी कि जो लोग अपनी ट्रेनिंग पीरियड में होंगे, वे लोग इन रोबोट पर एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं. खास तौर से मेडिकल क्षेत्र के लोग जिनको एक्सपेरिमेंट और स्टडी करने के लिए एक ह्यूमन बॉडी की आवश्यकता होती है और अगर उनसे कोई गलती हो जाए तो उसको सुधारना मुश्किल हो जाता है.

‘लूसी’ नाम का एक रोबोट बच्चा बनाया गया
इस ट्रेनिंग सेंटर में मेडिकल फील्ड के लोगों के लिए कई ऐसी चीजें रखी गई हैं जिन पर स्टडी और एक्सपेरिमेंट आसानी से किया जा सकता है. इसी क्रम में एक छोटा बच्चा भी रखा गया है, जो कि एक रोबोट है. इसका नाम लूसी रखा गया है. यह देखने में बिल्कुल एक इंसान के बच्चे जैसा ही लगता है, लेकिन वह असल में एक रोबोट है और एक नवजात शिशु को जो बीमारियां हो सकती हैं, उन सभी बीमारियों को उस बच्चों के अंदर बिल्ड किया गया है, ताकि ट्रेनिंग ले रहा स्टाफ यह समझ सके कि उन बीमारियों को कैसे सही किया जा सकता है. वह इसकी प्रैक्टिस कर सकते हैं.

‘इलाज करने के लिए डॉक्टर्स टेक्नोलॉजी पर निर्भर’
साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (SERB) के सचिव डॉ अखिलेश गुप्ता ने बताया, “यह इंजीनियरों और डॉक्टरों का एक अनूठा संगम है, जो इस सेंटर में विभिन्न चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के परीक्षण में सिमुलेशन के महत्व को दर्शाता है. अधिकांश लोगों का मानना है कि डॉक्टरों में असीमित क्षमताएं होती हैं. हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि डॉक्टर भी इंसान हैं, जो इलाज करने के लिए टेक्नोलॉजी पर भरोसा करते हैं.”

डॉक्टरों और विशेषज्ञों के परामर्श के बाद बनेगा ट्रेनिंग प्रोग्राम
बता दें कि सेंटर के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों और विशेषज्ञों के परामर्श के बाद यहां बेसिक से लेकर एडवांस तक ट्रेनिंग प्रोग्राम डिजाइन किए जाएंगे.

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