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चीन को भारत का जवाब… सरकार की अरुणाचल प्रदेश में 300 किमी नई सीमा सड़क बनाने की योजना


नई दिल्ली. 2020 से चल रहे भारत-चीन तनाव के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के मंसूबों का जवाब देने के लिए, नरेंद्र मोदी सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में लगभग 300 किलोमीटर लंबी चार प्रमुख सीमा सड़कें बनाने की योजना शुरू की है, और इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर मांगी है.

News18 ने इससे जुड़े दस्तावेजों तक पहुंच बनाई है, जिसमें सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की इन चार सड़कों को रणनीतिक क्षेत्रों में, जहां वर्तमान में कोई सड़क नहीं है, सड़क बनाने की योजना दिखाई गई है. इससे एलएसी के साथ-साथ सीमावर्ती इलाकों में अग्रिम आईटीबीपी और सेना के जवानों और सैन्य उपकरणों की आवाजाही तेज हो सकेगी.

फोटो: विशेष व्यवस्था द्वारा

News18 को मिली जानकारी के मुताबिक, एक नई 72 किमी लंबी सड़क टुतिंग से मुइरबे और आगे जाकर एलएसी के करीब बामे तक बनाने की योजना है. दूसरी 58 किमी लंबी सड़क तापा से हुश होती हुई अरुणाचल के सीमावर्ती इलाके दिल्ले तक तैयार करने की योजना बनाई जा रही है. इसी तरह ह्युलियांग से कुंडाओ तक 107 किलोमीटर लंबी सड़क की योजना, और किबिथु से कुंडाओ तक 52 किलोमीटर की एक और सड़क की योजना बनाई गई है. बीआरओ ने इन चारों सड़कों की बनने से जुड़ी संभावनाओं की रिपोर्ट मांगी है.

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फोटो: विशेष व्यवस्था द्वारा

शीर्ष सरकारी सूत्रों ने News18 को बताया कि ये सड़कें अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में रणनीतिक परियोजनाएं थीं और इनका सामाजिक-आर्थिक और रणनीतिक दोनों स्तर पर प्रभाव पड़ेगा. इनके बनने के बाद जहां सीमा क्षेत्र पर आवाजाही तेज हो सकेगी, वहीं सड़कें उन स्थानों को जोड़ेंगी, जो इतने सालों के बाद भी नहीं जुड़े हैं. सूत्र ने कहा कि एक बार इन सड़कों को अरुणाचल फ्रंटियर राजमार्ग का हिस्सा बना दिया जाए तो पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा. वर्तमान में उपर्युक्त हिस्सों को जोड़ने वाली कोई सड़क नहीं है. एक सूत्र ने News18 को बताया, “LAC के समानांतर चलने वाली कोई भी सड़क न केवल हमारे विरोधियों को बैकफुट पर ला देगी, बल्कि इससे पूरे अरुणाचल प्रदेश में हमारी सक्रियता तेज होगी.”

ये परियोजनाएं यात्रा का समय बचाने और कम समय में सीमा क्षेत्र तक पहुंचने के मामले में क्षेत्र में तैनात बलों के लिए बहुत मददगार साबित होंगी. आईटीबीपी के एक अधिकारी के अनुसार, इस क्षेत्र में कोई सड़क नहीं है और करीब तीन साल पहले, किबिथू से कुंडाओ तक एक पैदल ट्रैक बनाया गया था, लेकिन इससे यात्रा में काफी समय लगता था. किबिथू चीनी सीमा के बहुत करीब है और उस रास्ते पर यात्रा करने के लिए कोई उचित सड़क नहीं है. आसपास के इलाके में भी कोई भारी वाहन नहीं जा सकते हैं.

इसी तरह, टुटिंग-मुइरबे-बाम रोड क्षेत्र से, सड़क यात्रा के समय में 60-70% फीसद कमी आएगी. जो वर्तमान में बेहद मुश्किल है और रात के वक्त तो यहां पर यात्रा करना असंभव. तूतिंग चीन सीमा के करीब है और यह सड़क इस क्षेत्र को मुख्य भूमि से जोड़ेगी. इसके साथ ही इस सड़क की बदौलत, हायुलांग-ग्लोथांग ला डू दखरू-कुंडाओ बलों को कम से कम एक घंटे की बचत होगी.

चीन लगातार अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत को उकसाता रहा है और उसने हाल ही में भारत द्वारा ईटानगर में जी20 बैठक आयोजित करने पर भी आपत्ति जताई थी. इसी तरह चीन ने पिछले महीने भी अपने क्षेत्र का एक विकृत नक्शा जारी किया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा दिखाया गया था. भारत ने दोनों ही मामलों में चीन की हरकतों पर कड़ा विरोध जताते हुए दोहराया था और कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग बना रहेगा. विदेश मंत्रालय ने तब एक बयान में चीन के कदमों को आधारहीन और बेतुका करार देते हुए कहा था कि इस तरह के कदम केवल “सीमा से जुड़े सवालों के समाधान को जटिल बनाते हैं.”

Tags: Arunachal pradesh, BRO, China border, China india, Line of Precise Management

FIRST PUBLISHED : September 20, 2023, 11:45 IST

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