Ex Election Commissioners Claime New Cec Invoice Downgrades Cec Rank
Parliament Particular Session CEC Invoice: सोमवार से शुरू हो रहे संसद के विशेष सत्र में संभावित तौर पर पेश किए जाने वाले न्यू चीफ इलेक्शन कमिश्नर्स बिल (CEC) को लेकर पूर्व कमिश्नरों ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि नए बिल से चीफ इलेक्शन कमिश्नर और अन्य कमिश्नर्स का ग्रेड डाउन होगा. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस संबंध में पूर्व कमिश्नर्स पीएम मोदी को भी पत्र लिखेंगे.
पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर एसवाई कुरैशी ने न्यूज़ 18 इंडिया से बातचीत में कहा कि नया बिल इंडिया के इलेक्शन कमीशन का स्टेटस भी डाउन करेगा और टॉप इलेक्शन ऑफिसर्स का भी. नए चुनाव अधिकारियों का रैंक ब्यूरोक्रेट्स के बराबर होगा जो एक राज्य मंत्री से भी नीचे का दर्जा है. इस वजह से उन्हें नेताओं के खिलाफ एक्शन लेने में दिक्कतें होंगी. उन्हें उस सम्मान की नजर से नहीं देखा जाएगा जैसा देखा जाता रहा है.
उन्होंने बताया कि इसी वजह से कई देशों में इलेक्शन कमिश्नर खुद जज होते हैं. कुरैशी ने कहा कि पीएम को लिखे जाने वाले पत्र में सरकार से अर्जी होगी कि इस बदलाव को लागू न करें.
क्या कहना है सरकार का?
हालांकि सरकार का कहना है कि नया बिल चुनाव अधिकारियों कै रैंक निर्धारण के नियमों में कोई बदलाव नहीं करेगा. इलेक्शन कमिश्नर्स का स्टेटस वही रहेगा जो पहले से रहा है. दरअसल सरकार ने मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में चीफ इलेक्शन कमिश्नर और अन्य इलेक्शन कमिश्नर्स (अपॉइंटमेंट, कंडीशन ऑफ़ सर्विस एंड टर्म्स ऑफ़ ऑफिस) बिल 2023 को पेश किया था. इसका मुख्य मोटिव इलेक्शन कमिश्नर्स की नियुक्ति पैनल से चीफ जस्टिस को बाहर करना है. सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्देश पारित कर कहा है कि चीफ जस्टिस भी पैनल का हिस्सा होंगे. नया बिल इसी आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए है.
इसमें प्राइम मिनिस्टर, यूनियन मिनिस्टर और लोकसभा में अपोजिशन लीडर को नियुक्ति पैनल में शामिल करने को कहा गया है. इसके अलावा इसमें चुनाव अधिकारियों के सैलरी और अलावेंस में भी बदलाव के प्रावधान हैं जो इनके सर्विस कंडीशंस को बदलकर जज से कैबिनेट सेक्रेटरी रैंक पर ले आते हैं. इसको लेकर पूर्व इलेक्शन कमिश्नर्स ने कहा है कि नए प्रावधान के मुताबिक चुनाव अधिकारियों का वेतन कम हो जाएगा.
अभी कैसे होती है नियुक्ति?
मौजूदा प्रावधान के मुताबिक इलेक्शन कमिश्नर्स की नियुक्ति के लिए केंद्रीय मंत्री योग्य अधिकारियों के नाम का प्रस्ताव पीएम को भेजते हैं. पीएम उस पर अपनी सहमति देकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेज देते हैं.
विपक्ष ने भी खड़ा किया सवाल
नए बिल को लेकर आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि अब फ्री एंड फेयर इलेक्शन के बारे में नहीं सोचा जा सकता. संविधान के आर्टिकल 324 को भी निष्प्रभावी किया जा रहा है. नए प्रावधान के मुताबिक नियुक्त होने वाले इलेक्शन कमिश्नर्स को यह बात हमेशा खटकेगी कि उनकी नियुक्ति सरकार में शामिल पार्टी ने किया है. इसलिए उनके खिलाफ शिकायतों के निपटान में समस्या होगी. गौरतलब है कि संविधान का आर्टिकल 324 चुनाव आयोग को इलेक्शन के सुपरविजन, निर्देश और नियंत्रण का अधिकार देता है.
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