सूखने के बाद इन हरी सब्जियों के बढ़ जाते हैं दाम, सेहत के लिए भी फायदेमंद, पूरे देश में डिमांड
निखिल स्वामी/बीकानेर. राजस्थान सूखी सब्जियों का खजाना है. यहां एक से बढ़कर एक सूखी सब्जियां मिल जाती हैं. यहां आज भी लोग हरी सब्जियों को संरक्षित रखते हैं और सीजन के बाद उनको सूखाकर जाड़ों के लिए रख लेते हैं. वैसे तो सर्दी आने के साथ इन सूखी सब्जियों की डिमांड खूब रहती है, लेकिन अब देखने में आता है कि पूरे साल ही इन सूखी सब्जियों को लोग खाते हैं. इन हरी सब्जियों को सुखाकर बेचा जाता है और लोग इनकी सब्जी बनाकर इसका स्वाद लेते हैं.
आम तौर पर हरी सब्जी थोड़ी खराब होने पर लोग उन्हें बाहर फेंक देते हैं, लेकिन राजस्थान में आज भी लोग हरी सब्जियों को सुखाते हैं. सीजन के दौरान इन हरी सब्जियों के दाम 30 से 40 रुपये किलो होते हैं, लेकिन सब्जी सूखने के बाद इनके दाम चार गुना तक बढ़ जाते हैं. ऑफ सीजन में तो खूब महंगी मिलती हैं. जानकारों की मानें तो इन सब्जियों की डिमांड पूरे देश से आती है. क्योंकि ये सब्जियां सेहत के लिए भी खाफी फायदेमंद होती हैं.
दाम देखकर हो जाएंगे हैरान
बीकानेर के दुकानदार गिरधर गोपाल ने बताया कि यहां सांगरी, केर, खेजड़ा, फोफलिया, फली, भेह आदि सब्जियां सुखाकर मिलती हैं. सूखने के बाद बाजार में फोफलिया 280 रुपये किलो, फली 600 रुपये किलो, काकड़िया 200 रुपये किलो, काचर 200 रुपये किलो बिक रही है. वहीं जब ये सब्जियां हरी होती हैं, तब काकड़िया 30 रुपये किलो, फली 120 रुपये किलो, टिंडा फोफलिया 60 रुपये किलो, काचर 40 रुपये किलो में बिकता है. वहीं, ये हरी सब्जियां जब सूख जाती हैं तो इनका वजन भी हल्का हो जाता है. किलो भर की सब्जी 100 ग्राम ही रह जाती है. इन हरी सब्जियों को छीलकर उन्हें कई दिनों तक धूप में सुखाया जाता है.
सेहत के लिए लाभदायक
दुकानदार ने बताया कि कई लोग तो हरी सब्जियों को सुखाने की परंपरा को भूलते जा रहे हैं. इन सूखी सब्जियों में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. बताते हैं कि पहले लोग हरी सब्जियों को खरीदकर उन्हें सुखा देते थे, जिससे अगर कभी सब्जी महंगी हो तो उन्हें महंगाई की मार न सहनी पड़े.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 14:16 IST