“City Montessori School (CMS) Scandal Exposed: Violations, Negligence, and Education Mafia Unveiled”
CMS स्कूल के मालिकान का क़द इतना बड़ा कि नियमों का पालन न करने के बावजूद नहीं कर सकता कोई (विभाग) भी कार्रवाई
आखिर क्यों? इन शिक्षा माफिया, पैसों के लालची, शिक्षा को व्यवसाय और बच्चों की ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ करने वाले सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) के मालिक जगदीश गाँधी और उनकी पत्नी भारती गांधी पर कार्रवाई करने से क्यों कतरा रहा सरकारी तंत्र?
पिछली ख़बरों के माध्यम से हमने आपको अपने GNN चैनल के माध्यम से दिखाया और बताया था कि लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन में बनी सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) के ऑडिटोरियम की छत में दरार आ जाने के बावजूद स्कूल प्रशासन ने बिना स्कूल को बंद किये मरम्मत का कार्य चालू करा दिया। जिसकी ख़बर ज़िले के किसी भी विभाग के अधिकारियों को नहीं थी। जब मात्र आठ वर्ष पुरानी स्कूल की इस इमारत जिसका इतना ख़राब स्ट्रक्चर है जिसकी एक स्लैब में दरारें आ गयीं। हालांकि खबर के चलने के बाद से निर्माण कार्य जारी हुआ। जब सम्बंधित अधिकारियों से चैनल टीम ने बात की थी तो वो कोई भी जवाब देने से बचते नज़र आये। अब इसे क्या कहेंगे? क्या शिक्षा माफिया जगदीश गांधी के ख़िलाफ़ बोलने या उस पर कार्रवाई करने की किसी में भी हिम्मत नहीं है।
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जैसा कि आपको खबर के माध्यम से बताया था कि (CMS) स्कूल की इमारत में बने उस ऑडिटोरियम की, जोकि अवैध रूप से बेसमेंट में बना है। इसमें भारतीय इमारत संहिता (NBC) द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) अनिवार्य होती है। इसी के साथ फायर विभाग से भी NOC लेना ज़रूरी होता है। स्कूल के मालिकान ने इस इमारत के लिए NOC ली भी है या नहीं ! साथ ही स्कूल से निकलने वाले अपशिष्ट के लिए भी प्रदूषण विभाग की NOC ज़रूरी होती है। जबकि इस विभाग से NOC न लेना पर्यावरण के लिए भी खतरा है।
आख़िर यह मानक क्यों बनाये गए हैं? जब इसका पालन कराने वाले अधिकारी ही इस तरह से जानबूझ कर अनभिज्ञ बने रहें तो, क्या खिलवाड़ करने के लिए हम आपके के बच्चे ही हैं? जिनकी जान की परवाह न तो स्कूल के मालिकों को है और न ही उन सरकारी अधिकारियों को है जिनका कर्त्तव्य है कि सभी नियमों का पालन करते हुए स्कूल को मान्यता दी जाए। जिससे बच्चों की शिक्षा के साथ उनकी जान की सुरक्षा भी हो सके। इसके बावजूद यह पैसों के लालची बच्चों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ कैसे कर रहे हैं? इस तरह की लापरवाही से तो लगता है कि सरकारी तंत्र किसी बड़ी दुर्घटना का इंतज़ार कर रहा है।
केवल अपनी जेब भर रहे इस सिटी मोंटेसरी स्कूल के मालिकों का एक और कारनामा उजागर किया था। जहाँ पर स्कूल के मालिक ने सरकारी नहर पर ही क़ब्ज़ा कर लिया था जिसके बाद सिंचाई विभाग द्वारा कि गयी शिकायत पर मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संज्ञान लिया और विजिलेंस की जांच बिठाई थी। जांच में सिंचाई विभाग के साथ LDA के कई अधिकारी ज़द में आये फिर यह मामला हाईकोर्ट पहुँच गया। इस मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं और साथ ही सिटी मोंटेसरी स्कूल की इमारत के अवैध हिस्से को गिराने का आदेश भी दे दिया।
अब देखने वाली बात यह है कि स्कूल के मालिक लगातार कई तरह से स्कूल को चलाने और अपनी जेब भरने में बच्चों की जिंदगियों को दांव पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। स्कूल के मानकों को पूरा करने में इनको क्या तकलीफ़ है। शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए वसूलने वाले इन लोभियों को बच्चों की सुरक्षा का ज़रा भी ख्याल नहीं है। बच्चों के माता पिता से फीस के नाम पर करोड़ों रुपये वसूलने वाले स्कूल के मालिक बच्चों की सुरक्षा के लिए क्यों मानकों को पूरा नहीं करते। इनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की जिंदगियां, जोकि देश का भविष्य हैं, उनकी कोई कीमत नहीं !
इसी तरह सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) राजाजीपुरम (III) में बनी एक शाखा के बारे में भी अपनी खबर के माध्यम से बताया था कि इस स्कूल की इमारत आज भी आवास विकास के मानचित्र के अनुरूप नहीं बनी है। इसके अलावा पिछले एक वर्ष से अधिक समय से चल रहे इस स्कूल की मान्यता पर भी सवाल किया गया तो बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा सिर्फ काग़ज़ी कार्रवाई दिखा कर नियमों की धज्जियां उड़ा दी गयीं। इस इमारत में बिजली कनेक्क्शन नहीं था, जब GNN पर इस खबर को उजागर किया गया तो खाना पूर्ति के तौर पर बिजली विभाग ने आनन् फानन में अपने ही खम्बे पर लाइन खींच कर फुर्ती तो दिखाई पर मीटर कहाँ लटकाया गया इसका नमूना आप भी देख कर समझ सकते हैं। इस बात से साफ़ ज़ाहिर है कि बिजली कनेक्शन स्कूल की इमारत में कब पहुंचा और स्कूल को मान्यता कैसे दी गयी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि स्कूल की इमारत अभी भी निर्माणाधीन है और स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जानकारी में ही नहीं है। जबकि पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से स्कूल चलाया जा रहा है।
सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) के संस्थापक शिक्षा माफिया जगदीश गांधी पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एक कार्यक्रम के दौरान तंज़ कसा था जिसके बावजूद भी स्कूल चलाने को लेकर सम्बंधित विभाग और उनके ज़िम्मेदार अधिकारी चेते नहीं। क्या शिक्षा माफिया जगदीश गांधी का क़द इतना बड़ा है कि शासन, प्रशासन और न्यायपालिका से भी ऊपर है? इस पर कार्रवाई करने को लेकर विभागों द्वारा कितना बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है। इतनी ख़बरें समाचार चैनल और समाचार पत्रों के माध्यम से चलाई गयीं पर काग़ज़ी कार्रवाई के अलावा आज तक कुछ भी नहीं हुआ। मुद्दा आज भी वहीँ का वहीँ है। राजाजीपुरम (III) में बनी यह सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) की शाखा आज भी अवैध होने के बावजूद मुंह फैलाये नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सरकारी तंत्र का मखौल उड़ा रही है।
सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) इस शाखा के मुद्दे क्या हैं जोकि भारतीय इमारत संहिता (NBC) के मानक के अनुरूप नहीं हैं यह भी जान लीजिये:
* स्कूल की इमारत अवैध है जोकि मानचित्र के अनुरूप नहीं बनी है।
* स्कूल की इमारत निर्माणाधीन है जबकि स्कूल एक वर्ष से अधिक समय से चलाया जा रहा है।
* स्कूल का बिजली कनेक्शन। (फोटो देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है)
* स्कूल को अग्निशमन विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC)
* स्कूल से निकलने वाले अपशिष्ट के लिए प्रदूषण कण्ट्रोल बोर्ड द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC)
* स्कूल की बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता के लिए सभी विभागों द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त होना।
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