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यहां मिलता है लौकी का घेवर, गाय के घी में होता है तैयार, फरीदाबाद में मशहूर है दुकान, शुगर मरीज भी ले रहे स्‍वाद



हाइलाइट्स

लौकी शरीर में शुगर के स्‍तर को नियंत्रित करती है.
देसी खांड और लौकी से बनी मिठाई डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं.

Lauki ka Ghevar: रक्षा बंधन का त्‍यौहार वैसे तो राखी बांधने के लिए प्रसिद्ध है लेकिन इस दिन मीठे में एक खास मिठाई खाई जाती है और वह है घेवर. राजस्‍थान की यह प्रसिद्ध मिठाई आज लगभग सभी राज्‍यों में पहुंच चुकी है. यही वजह है कि रक्षा बंधन का त्‍यौहार बिना घेवर के अधूरा लगता है. वैसे घेवर तो आपने हर बार ही खाया होगा लेकिन क्‍या कभी आपने लौकी का घेवर खाया है? अगर नहीं खाया तो इस बार आप इसे ट्राई कर सकते हैं. वहीं अगर सेहत के चलते आप घेवर खाने से बच रहे हैं तो लौकी का घेवर आपको जरूर खाना चाहिए क्‍योंकि देसी गाय के घी में तला हुआ ये घेवर स्‍वाद में ही नहीं बल्कि स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी लाजवाब है.

अगर आप दिल्‍ली-एनसीआर में रहते हैं तो एक बार फरीदाबाद की इस मशहूर दुकान पर जाकर घेवर का लुत्‍फ उठा सकते हैं. फरीदाबाद के सेक्‍टर-30 में स्‍वदेशी हांडी के नाम से मिठाइयों की दुकान काफी समय से मशहूर है. यह दुकान पीली सरसों के शुद्ध तेल में बने समोसे कचौरी, नारियल तेल के लड्डू, देसी गाय के घी में बनी इमरती, जलेबी आदि मिठाइयों के लिए जानी जाती है. खास बात है कि इस दुकान में बनने वाली किसी भी मिठाई में चीनी का इस्‍तेमाल नहीं होता है. या तो मिठाई में गुड़ का इस्‍तेमाल होता है या देसी खांड का.

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देसी गाय के घी और खांड से बनता है घेवर
स्‍वदेशी हांडी पर बनने वाला लौकी का घेवर देसी गाय के घी में तला जाता है. वहीं इसे मीठा करने के लिए चीनी के बजाय देसी खांड का इस्‍तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार चीनी के बजाय देसी खांड का इस्‍तेमाल काफी बेहतर होता है. वहीं इसकी गार्निशिंग के लिए लौकी का इस्‍तेमाल किया जाता है. घेवर के ऊपर गाय के दूध से बने मावा और लौकी को मिलाकर बने मिश्रण को फैलाया जाता है. इसी में ड्राई फ्रूट भी डाले जाते हैं.

डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं.. 
स्‍वदेशी हांडी चलाने वाले प्राकृतिक चिकित्‍सक बीना रामपाल और प्रमोद गर्ग बताते हैं कि इस मिठाई को तैयार ही इस तरह और इन चीजों के साथ किया जा रहा है कि वह सामान्‍य घेवर की तरह नुकसान न पहुंचाए. इसमें इस्‍तेमाल किए जा रहे देसी गाय के घी से लेकर, देसी खांड और लौकी तीनों ही चीजें फायदा पहुंचाती हैं. न केवल सामान्‍य लोग बल्कि इस घेवर को शुगर या डायबिटीज के मरीज भी आसानी से खा सकते हैं.

रोजाना बनता है ताजा, कीमत भी है कम
चूंकि इस घेवर में लौकी का इस्‍तेमाल होता है, ऐसे में रोजाना इसे ताजा बनाया जाता है. हालांकि इसे 4-5 दिन तक आराम से खाया जा सकता है. इस घेवर की कीमत बाजार में मिल रहे अन्‍य घेवर की तरह ही 600 रुपये प्रति किलोग्राम है. हालांकि शुद्धता के लिए मशहूर इस दुकान पर दोपहर तक ही घेवर का स्‍टॉक खत्‍म हो जाता है. ऐसे में अगर आप घेवर खरीदना चाहते हैं तो जल्‍दी पहुंचें.

लौकी करती है डायबिटीज में सबसे ज्‍यादा फायदा
बीना रामपाल कहती हैं कि स्‍वदेशी हांडी सेहत को ध्‍यान में रखकर मिठाईयां बनाती है. यहां पथ्‍याहार, आयुर्वेद आहार, और प्राकृतिक आहार का संतुलन बनाकर ही मिठाइयां बनाई जाती हैं. लौकी में 95 फीसदी पानी होता है और यह डायबिटीज के मरीजों के लिए दवा की तरह काम करती है. हाई ब्‍लड शुगर को कंट्रोल करने में लौकी का कोई तोड़ नहीं है. इसके अलावा देसी खांड मीठे का सेहतमंद स्‍त्रोत है. जबकि देसी गाय का घी अमृत है और नुकसान नहीं करता है. ऐसे में लौकी के बने इस घेवर को फायदेमंद मिठाई कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

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Tags: Meals, Way of life, Trending

FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 18:46 IST

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