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OPINION: नीतीश के अटल प्रेम से विपक्षी एकता पर बिहार में क्यों तेज हुई सियासी हलचल



विपक्षी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. 31 अगस्त और 1 सितंबर को I.N.D.I.A की तीसरी बैठक मुंबई में प्रस्तावित है. लेकिन, इससे पहले घटक दलों के बीच से जो सूचना सामने आ रही है उससे साफ है कि I.N.D.I.A में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के बाद इस विवाद को और बल मिला है. दो दिनों तक नीतीश कुमार दिल्ली में थे.लेकिन, उनकी किसी भी विपक्षी दल के नेता से मुलाकात नहीं हुई है.इसके साथ ही उनके अटल प्रेम ने भी सभी को चौंका दिया. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के पांच साल बाद नीतीश कुमार उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने उनके दिल्ली स्थित समाधि स्थल पर गए थे. इसके बाद से सियासी हलचलें तेज हो गई और राजनीतिक पंडित इसकी अपनी तरह से व्याख्या करने लगे हैं.

बदले बदले क्यों हैं नीतीश कुमार
विपक्षी एकता के जनक नीतीश कुमार ही रहे हैं. लेकिन, उनकी वह सक्रियता अब क्यों नहीं दिख रही है. आखिर नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A से अपनी दूरी क्यों बना रहे हैं. राहुल गांधी को वादा करने के बावजूद अपने मंत्रिमंडल में वे कांग्रेस कोटे से किसी को जगह क्यों नहीं दे रहे हैं.

इसपर नीतीश कुमार को जानने वालों का कहना है कि I.N.D.I.A के गठन से पहले गठबंधन में उनकी जो पूछ थी वह शायद अब नहीं है. संभवतः यह एक कारण है कि नीतीश कुमार इससे नाराज हैं. सूत्रों का कहना है कि बिहार में उनके साथी आरजेडी का कांग्रेस में उनसे ज्यादा दबदबा भी उनको परेशान कर रहा है. यही कारण है कि नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से I.N.D.I.A के गतिविधियों से अपने को अलग कर लिया है.

AAP के लिए विपक्षी गठबंधन जरूरी या मजबूरी?
दिल्ली में लोकसभा की सात सीटों पर बयानबाजी के बाद AAP और कांग्रेस आमने सामने हो गए थे. दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ तलवारें खिंच ली थी.दिल्‍ली में झगड़े और धमकी के बीच केजरीवाल के मुंबई में प्रस्तावित बैठक में हिस्सा लेने पर भी सवाल खड़े हो गए थे. हालांकि, केजरीवाल ने इससे जुड़े एक सवाल में साफ कहा कि मुंबई में प्रस्तावित I.N.D.I.A की बैठक में जरूर शामिल होंगे. दिल्ली विवाद पर उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. लेकिन, लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए कांग्रेस ने बीते दिनों हुई बैठक के बाद कांग्रेस नेता अलका लांबा के बयान के बाद जिस प्रकार से दोनों ओर से बयानबाजी का दौर शुरू हुआ वह I.N.D.I.A की एकता पर सवाल खड़ा करता है.

दरअसल, कांग्रेस नेता अलका लांबा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए हुई बैठक के बाद कहा था कि पार्टी ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर कांग्रेस को तैयारी करने को कहा है. उनके इस बयान के बाद केजरीवाल की AAP पार्टी की ओर से भी पलटवार किए गए. AAP ने तो इस पर पलटवार करते हुए यहां तक कह दिया था कि अगर कांग्रेस दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ना चाहती है तो मुंबई में I.N.D.I.A गठबंधन की अगली बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है.

इसके बाद दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ तलवारें खिंच ली थी. बहरहाल यह कोई पहला अवसर नहीं है कि आप और कांग्रेस के बीच विपक्षी एकता की मुहिम के बीच यह पहली तकरार हो. इससे पहले जून में बिहार की राजधानी पटना में हुई बैठक में भी आप ने दिल्ली सर्विस बिल के खिलाफ कांग्रेस से खुला समर्थन न मिलने पर नाराज़गी जताई थी और गठबंधन से अलग होने की धमकी तक दे दी थी. इन दोनों दलों के बीच भरोसा क्यों नहीं बन रहा है. किसी भी मुद्दे पर बातचीत से पहले बयानबाज़ी क्यों शुरू हो जाती है? यह एक अहम सवाल है.

अजित और शरद पवार की मुलाकात
एनसीपी में टूट के बाद 12 अगस्त को अजित पवार और शरद पवार की मुलाकात हुई. इस मुलाकात को लेकर सियासी चर्चाएं भी शुरू हो गई. हालांकि शरद पवार ने इस मुलाकात को निजी बताया. लेकिन कांग्रेस इसको लेकर अपने प्लान बी पर भी काम करना शुरू कर दी है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सब कुछ सामान्य था तो अजित और शरद पवार की मुलाकात मुम्बई की जगह पुणे में क्यों हुई? इस मुलाकात को इतनी दिनों तक छिपा कर क्यों रखा गया.

हालांकि शरद पवार ने इस मुलाकात को पारिवारिक बताया है. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले इसको लेकर कहा कि जब मुंबई में विपक्षी गठबंधन की आगामी बैठक होगी तो कांग्रेस आलाकमान इस मुद्दे पर शरद पवार से बातचीत करेगा. एक चर्चा यह भी है कि अजित और शरद पवार की मुलाकात को लेकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे) में भी नाराजगी है. इससे साफ है कि विपक्षी गठबंधन में सब कुछ तो ठीक नहीं चल रहा है.

BJP को हराने के लिए विपक्ष का गणित
विपक्षी गठबंधन का गठन भाजपा को हराने के लिए किया गया. गठन को लेकर विपक्ष का इसका अपना गणित था. बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 37.36 प्रतिशत वोटों के साथ 303 सीटें जीती थीं. भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने 45 प्रतिशत वोट लाकर 353 सीटें जीती थीं. यानी 55 फीसद वोट विपक्ष के पास था. लेकिन बिखराव के कारण विपक्ष इसे सीटों में कन्वर्ट नहीं कर सका था. विपक्ष अपने इसी वोट को अपने पक्ष में गोलबंद करना चाहता है और बीजेपी के खिलाफ अपना एक उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है.

जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी की मानें तो विपक्षी गठबंधन ने इसके लिए 450 सीटों पर वन टू वन फाइट की तैयारी कर ली है. बहरहाल टूट और बिखराव के खतरे और भी हैं. मायावती की बीएसपी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम जैसी पार्टियों के अलावा केसीआर की बीआरएस, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, कर्नाटक में जेडीएस और ओडिशा में बीजद जैसी पार्टियां भी है. जो कि स्वतंत्र रूप से मैदान में होंगी.

Tags: Lalu Yadav, Narendra modi, Nitish kumar, Rahul gandhi, RJD, Tejashwi Yadav

FIRST PUBLISHED : August 23, 2023, 14:40 IST

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