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Chandrayaan-3: चांद पर पहले किन रहस्यों की तलाश करेगा चंद्रयान-3, यह है ISRO का पूरा प्लान, NASA भी छूटेगा पीछे?



हाइलाइट्स

विक्रम लैंडर चांद की सतह पर लैंड करने के बाद उसमें मौजूद रोवर प्रज्ञान तुरंत काम पर लग जाएगा.
चांद के जिस दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में प्रज्ञान रोवर लैंड करेगा, वहां अभी तक कोई अन्य देश नहीं पहुंचा है.
यहां ऐसे स्थान भी मौजूद हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंची है.

नई दिल्ली: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Newest Replace) के चांद की सतह पर लैंडिंग की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. वहीं रूस के च्रंद मिशन लूना-25 के फेल होने के बाद अब पूरी दुनिया की आस चंद्रयान-3 पर टिकी है. भारत का चंद्रयान-3,  23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंड करेगा. सबसे ज्यादा उत्सुकता वाला सवाल है कि चंद्रयान 3 आखिर चांद पर करेगा क्या. तो इस खबर में हम आपके तमाम उतसुक्ताओं को खत्म करने की कोशिश करने वाले हैं.

चांद की सतह पर 23 अगस्त को विक्रम लैंडर लैंड करने के बाद उसमें मौजूद रोवर प्रज्ञान तुरंत काम पर लग जाएगा. वह वहां से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को डेटा भेजेगा. रिपोर्ट के अनुसार ISRO ने इस डेटा के विश्लेषण के लिए शानदार इंतजाम किया है. इसके लिए अलग-अलग वैज्ञानिकों की टीम तैयार की गई है.

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ISRO की ये है कोशिश
बता दें कि ISRO इस कोशिश में लगा हुआ है कि चंद्रयान 3 द्वारा भेजे गए डेटा पर आधारित कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी की घोषणा या शोधपत्र का प्रकाशन सबसे पहले एजेंसी द्वारा ही किया जाए. दरअसल साल 2008 में चंद्रयान के भेजे गए डेटा की मदद से नासा (NASA) ने पहले घोषणा कर दी थी. इसलिए ISRO इस बार अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं होने देना चाहता है.

ISRO की वेबसाइट के अनुसार लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक घूम-घूम कर डेटा संग्रहीत करेगा. इसमें लगे दो उपकरणों में से एक आल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्टोमीटर (APXS) चांद की सतह का रासायनिक विश्लेषण करेगा. वहीं दूसरा लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडुन स्पेक्टोस्कोप (LIBS) सतह पर किसी धातु की खोज और उसकी पहचान करेगा. ISRO के मुताबिक, दोनों उपकरणों की तकनीक अलग-अलग है और काम करीब-करीब एक जैसा ही है.

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इस बार नहीं होगी कोई गलती
गौरतलब है कि साल 2008 में जब चंद्रयान-1 ने आंकड़े भेजने शुरू किए थे, तो उसके आधार पर पहली घोषणा नासा ने 24 सितंबर 2009 में की थी. इसमें NASA ने बताया था कि चांद के दक्षिण हिस्से में बर्फ की मौजूदगी के प्रमाण मिलते हैं. NASA की यह घोषणा चंद्रयान-1 में भेजे गए अपने उपकरण मून मिनरोलॉजी मैपर (M3) के आंकड़ों के आधार पर की गई थी. लेकिन इस बार चंद्रयान 3 के साथ ऐसा नहीं है. इस बार चंद्रयान 3 के साथ कोई भी विदेशी उपकरण नहीं भेजा गया है.

मिल सकती है नई जानकारी
चंद्रयान-3 के आंकड़े इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चांद के जिस दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में प्रज्ञान रोवर लैंड करेगा, वहां अभी तक कोई अन्य देश नहीं पहुंचा है. चंद्रयान-1 ने भी दक्षिणी क्षेत्र से ही डेटा एकत्र किए थे. इस क्षेत्र में गहरी खाइयां हैं, यहां ऐसे स्थान भी मौजूद हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंची है. इस कारण नई जानकारी मिलने की संभावना ज्यादा है. इस कारण भारत के साथ साथ दुनिया का वैज्ञानिक समुदाय चंद्रयान 3 से काफी उम्मीदें कर रहा है.

Tags: Chandrayaan-3, ISRO, Mission Moon

FIRST PUBLISHED : August 21, 2023, 08:02 IST

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