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Karnataka Excessive Courtroom Dismiss Case In opposition to BJP President JP Nadda Associated To His Speech In Karnataka Meeting Elections | जेपी नड्डा के खिलाफ दर्ज मामला कर्नाटक हाई कोर्ट ने किया रद्द, कहा


Karnataka Excessive Courtroom: कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक भाषण के संबंध में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष जेपी नड्डा के खिलाफ दर्ज मामले में आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी है. कोर्ट ने रविवार (20 अगस्त) को कहा कि ये बेतुके आरोपों पर लापरवाही से दर्ज किया गया. ये मामला कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले विजयपुरा जिले में मई में दिए गए भाषण से जुड़ा है. 

हरपनहल्ली थाने में एक चुनाव अधिकारी की ओर से नौ मई को धारा 171 एफ के तहत एक शिकायत दर्ज कराई गई थी. इस धारा के तहत मामला गैर संज्ञेय अपराध का है. शिकायत में आरोप लगाया गया जेपी नड्डा ने एक जनसभा में मतदाताओं को यह कहते हुए चेतावनी दी थी कि यदि बीजेपी को वोट नहीं दिया गया, तो वे केंद्रीय योजनाओं का लाभ खो देंगे. 

जेपी नड्डा ने हाई कोर्ट में दी थी चुनौती 

मामले को मजिस्ट्रेट के पास भेजा गया, जिन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दे दी. इसके बाद, जेपी नड्डा ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार, नड्डा के वकील और सरकारी वकील की दलील सुनने के बाद जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि आरोप अस्पष्ट हैं. उन्होंने कहा, “आरोप यह है कि याचिकाकर्ता की ओर से सात मई 2023 को एक जनसभा में मतदाताओं को धमकी देकर आचार संहिता का उल्लंघन किया गया. शिकायत बिल्कुल अस्पष्ट है.” 

कोर्ट ने क्या कुछ कहा?

जज ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ बिल्कुल अस्पष्ट शिकायत पर मामला दर्ज किया गया. हाई कोर्ट के फैसले में शिकायत की प्रति का हवाला दिया गया, जिसमें केवल यह कहा गया कि नड्डा ने आचार संहिता का उल्लंघन किया और किसी भी विवरण का उल्लेख नहीं किया गया. कोर्ट ने आगे कहा कि आपराधिक कार्यवाही की अनुमति देना कानून का दुरुपयोग होगा.

कोर्ट ने कहा, “यदि उपरोक्त तथ्यों के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ आगे की जांच जारी रखने की अनुमति दी जाती है, तो यह अपराध के संबंध में लापरवाही से दर्ज मामले में जांच की अनुमति देने की उत्कृष्ट मिसाल बन जाएगा, जो पहली नजर में कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.” एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए, हाई कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत की ओर से निर्धारित सात में से तीन आधार तत्व वर्तमान मामले में लागू होते हैं. 

“आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता”

न्यायाधीश ने कहा, “पहला आधार तत्व यह है कि जहां आरोपों को उसकी सत्यता के बारे में ज्यादा सोच-विचार किये बिना स्वीकार कर लिया जाता है, तो वहां आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. पांचवां आधार तत्व यह है कि जहां प्राथमिकी में आरोप इतने बेतुके और असंभाव्य हैं, तो यह कार्यवाही को रद्द करने के लिए पर्याप्त आधार होगा.” 

लंबित जांच को रद्द किया

अदालत ने कहा कि सातवां आधार तत्व यह है कि जहां आपराधिक कार्यवाही आरोपी को परेशान करने की दृष्टि से दुर्भावनापूर्ण तरीके से शुरू की गई है, ऐसी कार्यवाही को रद्द कर दिया जाना चाहिए. अदालत ने तीनों आधार तत्व का जिक्र करते हुए कहा कि ये पूरी तरह से मौजूदा मामले पर लागू होते हैं. न्यायाधीश ने याचिका को मंजूर करते हुए निचली अदालत के समक्ष लंबित जांच को रद्द कर दिया. 

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