बिहारी जलेबी दिखने में जितनी टेढ़ी, स्वाद में उतनी ही रसीली, एक बार चख लें तो हो जाएंगे मुरीद, जानें लोकेशन
धीरज कुमार/किशनगंज. चाय और कचौड़ी के लिए मशहूर बिहार का किशनगंज अपने खानपान के लिए जाना जाता है. काफी संख्या में पर्यटक यहां की खूबसूरत वादियों को देखने के लिए बिहार के अन्य हिस्सों से आते हैं. किशनगंज के महाराज जी की जलेबी देश-विदेश में मशहूर है. यही नहीं, यहां की जलेबी खाने के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं. महाराज जी की दुकान करीब 50 साल से लाजवाब जलेबी परोस रही है. वहीं इस दुकान की जलेबी खाने के लिए दूर-दूर से स्वाद के शौकीन आते हैं.
जलेबी की यह दुकान किशनगंज के गांधी चौक के पास वाली गली में है. इस दुकान का कोई नाम नहीं है. किशनगंज शहर में अब यह दुकान एक लैंडमार्क बन चुकी है. यहां गरमागरम जलेबी के साथ कचौड़ी और लड्डू भी परोसे जाते हैं. सुबह 8 बजे से लेकर रात 10 बजे तक जलेबी खरीदने के लिए लोग दुकान पर आते हैं. वहीं जलेबी लेने के लिए पहुंचीं एक महिला ग्राहक ने बताया कि वह जब से शादी करके ससुराल यानी किशनगंज आईं, तब से ही यहां खा रही हूं. कई बार तो जलेबी के लिए दुकान के बाहर ग्राहकों की लाइन भी लग जाती है. इसका स्वाद इतना बेहतरीन है कि अगर वह कहीं से आते हैं तो सबसे पहले इस दुकान में जलेबी खाने के लिए पहुंचते हैं, शहर के लोग महाराज जी की जलेबी अपने घर आए रिश्तेदारों को जरूर चखाते हैं. वहीं लड्डू को दूर-दराज अपने रिश्तेदारों के यहां भेजते भी हैं.
40 साल में भी नहीं बदला स्वाद
महाराज जी की दुकान की जलेबी का स्वाद काफी लाजवाब है. यहां हर समय ताजा जलेबी बनती है. जलेबी का स्वाद जो 40 साल पहले था, वही स्वाद आज भी मिलता है. वहीं अगर जलेबी की रेट की बात करें तो 160 रुपया किलो मिलती है. 8 रुपया कचौड़ी, बाकी कचौड़ी के साथ नाश्ते में जलेबी 3 रुपए प्रति पीस मिलती है. यहां पर काम करने वाले ओमप्रकाश ने बताया कि वह करीब 25 साल से महाराज जी की दुकान में काम कर रहे हैं. यहां की जलेबी खाने के लिए लोगों की काफी भीड़ रहती है. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर और भी ज्यादा लोग यहां पहुंचते हैं. खड़े होने के लिए जगह कम पड़ने लगते हैं.
प्रतिदिन 10-15 केजी मैदा की खपत
दुकानदार राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि दुकान करीब 50 साल पहले पिताजी महाराज जी ने शुरू की थी. अब वो इस दुनिया में नहीं हैं. शहरवासियों ने हमारी दुकान को प्यार से महाराज जी की जलेबी का नाम दिया. महाराज जी के समय की स्वाद आज भी बरकरार है. प्रतिदिन 10-15 किलो मैदा की खपत होती है. लोग यहां पहुंचकर जलेबी का लुत्फ उठा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 14, 2023, 22:13 IST