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GNCT Bill का विरोध प्रदर्शन – Aam Aadmi party

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन संशोधन विधेयक 2021 (GNCT Bill)

Delhi: सोमवार को लोकसभा दिल्ली में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा इस विधेयक 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन संशोधन विधेयक 2021' GNCT Bill पेश किया गया था। जिसमे दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकारों को सीमित करने वाले बिल का विरोध प्रदर्शन बुधवार को आम आदमी पार्टी के द्वारा किया जायेगा।

आम आदमी पार्टी के सांसदों का संसद में गाँधी जी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन

दिल्ली की शासन व्यवस्था पर इसका क्या असर होगा?

दिल्ली की शासन व्यवस्था पर इसका क्या असर होगा? बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और दूसरे नेता करेंगे विरोध प्रदर्शन दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के सांसदों का संसद में गाँधी जी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन केंद्र की बीजेपी सरकार के इस प्रस्तावित GNCT Bill के ख़िलाफ़ है जो राष्ट्रिय राजधानी के क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 में संशोधन के लिए लाया गया है। आप संसद संजय सिंह ने बताया कि केंद्र में देश की बीजेपी सरकार दिल्ली की आम आदमी पार्टी के किये गए महत्वपूर्ण कार्य जैसे बिजली, पानी, चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों से बौखला गयी है।



सरहनीय कार्य इनको क़तई पसंद नहीं आ रहे

आप सांसद संजय सिंह ने बताया कि केंद्र में देश की BJP सरकार दिल्ली की आम आदमी पार्टी के किये गए कार्यों जैसे बिजली, पानी, चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र और महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण कार्यों से बौखला गयी है। इतने सराहनीय कार्य जो हमारी पार्टी की सरकार ने किये हैं उसकी देश भर सराहना हो रही है। यही सरहनीय कार्य इनको क़तई पसंद नहीं आ रहे हैं। केंद्र की BJP सरकार आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा किये गए कार्यों को दबाते हुए ख़त्म कर देना चाहती है।

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केंद्र की बीजेपी सरकार दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार को ख़त्म कर देना चाहती है

इसी कारण ये उप-राज्यपाल को सरकार बना रहे हैं। आप सांसद संजय सिंह ने यह भी कहा कि "दिल्ली कि सरकार के किये गए कार्यों की देश भर में सराहना हो रही है एवं गुजरात में भी अपनी पैठ बनायीं और सफलता प्राप्त की। आने वाली योजनाओं में हमारी प्राथमिकता पब्लिक ट्रांसपोर्ट को फ्री करने की है। तो कहीं न कहीं यह लगता है कि केंद्र की बीजेपी सरकार दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार को ख़त्म कर देना चाहती है।"



केंद्र की सरकार के जिस (GNCT Bill) पर दिल्ली की सरकार आग बबूला होकर प्रदर्शन के लिए मजबूर हो गयी है। आख़िर यह बिल है क्या ?

लोकसभा में पेश हुए बिल में चार प्रस्ताव हैं :-

पहला यह कि दिल्ली विधान सभा जो भी क़ानून बनाये उसमे सरकार का मतलब उप-राज्यपाल माना जायेगा। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई २०१८ में संवैधानिक पीठ के फैसले में चुनी हुई सरकार को सरकार बताया गया था।

दूसरा यह कि विधान सभा में अगर ऐसा बिल पास हो गया जो उसके दायरे से बाहर हो तो उप-राज्यपाल उस बिल को अपने पास रोक सकते हैं। जबकि अभी तक सभी बिल पास होकर राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेजे जाते हैं।

तीसरा यह है कि इस प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, विधानसभा ऐसा कोई नियम नहीं बनाएगी जिससे कि विधानसभा या विधान सभा की समितियां राजधानी के रोजमर्रा के प्रशासनिक मामलों पर विचार करें या फिर प्रशासनिक फैसले के मामलों में जांच करें। प्रस्तावित संशोधन में यह भी कहा गया है कि इस संशोधन विधेयक से पहले इस प्रावधान के विपरीत जो भी नियम बनाए गए हैं वह रद्द होंगे।

चौथा यह है कि इस प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक 'उपराज्यपाल के कोई भी कार्यकारी फैसले चाहे वह उनके मंत्रियों की सलाह पर लिए गए हो या फिर ना लिए गए हो... ऐसे सभी फैसलों को' उपराज्यपाल के नाम लिया जाएगा। संशोधित बिल में यह भी कहा गया है कि किसी मंत्री या मंत्री मंडल का निर्णय या फिर सरकार को दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करने से पहले उपराज्यपाल की राय लेना आवश्यक होगा।

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बीजेपी अब पिछले दरवाज़े से दिल्ली पर शासन करने की कोशिश कर रही है-

उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ‘’अगर एलजी साहब को ही तय करना था तो फिर यह जनता के पास क्यों गए थे? जनता को क्यों कहा गया कि अपना मुख्यमंत्री चुन लो। यह प्रस्तावित विधेयक लोकतांत्रिक और संवैधानिक रुप से ‘खतरनाक’ है। यह दिल्ली के चुनावों और चुनी हुई सरकार को निरर्थक बना देगा। दिल्ली चुनाव में बुरी तरह हारने और (हाल में एमसीडी उपचुनाव में) एक भी सीट नहीं मिलने के बाद बीजेपी अब पिछले दरवाज़े से दिल्ली पर शासन करने की कोशिश कर रही है।''

 

बिना उप-राज्यपाल की मंज़ूरी के स्वतंत्र नहीं

साथ ही यह पूछने पर कि बिल में कहीं नहीं लिखा है कि उप-राज्यपाल की राय माँगना अनिवार्य हैं। तो मनीष सिसोदिया ने जवाब दिया कि कोई भी फ़ैसले की फ़ाइल उप-राज्यपाल के पास तो जाएगी ही जिससे उप-राज्यपाल उस फ़ाइल को वापस भेजने में कितना समय लेंगे यह तय नहीं। उदाहरण के तौर पर हाल ही में सुरक्षा के मद्देनज़र दिल्ली में चौराहों पर CCTV लगाने की फ़ाइल ६ महीने तक उप-राजयपाल ने वापस नहीं भेजी जिस पर कोर्ट तक जाना पड़ा था। उन्होंने इस बिल का विरोध करते हुए बताया कि हमारी सरकार कोई भी फ़ैसले के लिए बिना उप-राज्यपाल की मंज़ूरी के स्वतंत्र नहीं है।



प्रस्तावित बिल के ख़िलाफ़ जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन

आम आदमी की सरकार विधान सभा समीतियों के बहुत सारे मुद्दे उठाती रही है। लेकिन प्रस्तावित संशोधन के बाद इस पर भी पाबंदी लग सकती है। इसीलिए आम आदमी पार्टी से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल केंद्र सरकार के इस प्रस्तावित बिल के ख़िलाफ़ जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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