किसान आंदोलन के समर्थन में सपा की किसान महापंचायत
उत्तर प्रदेश/अलीगढ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब किसान आंदोलन को लेकर किसानो के समर्थन के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आने वाले चुनावों के मद्देनज़र अपनी रथ यात्रा लेकर टप्पल (अलीगढ) पहुंचे। राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बाद अब अखिलेश यादव भी किसानों के चल रहे आंदोलन से अपनी राजनैतिक समीकरणों को साधते हुए इस किसान महापंचायत में शामिल हो गए।
"अंधेर नगरी चौपट राजा, दिन दहाड़े रेप, रात भर गांजा, जिसको देखना है, यूपी में आ जा।"
कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ अखिलेश यादव काफ़ी समय से आवाज़ उठा रहे हैं। आज किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए, अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी सरकार बनने पर Yamuna Express Way पर अनाज मंडियां खोली जाएंगी। जहां किसानों का अनाज उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) पर लिया जाएगा। नये कृषि कानूनों को रद्द कराएंगे। वे शुक्रवार को यमुना एक्सप्रेस-वे के टप्पल इंटरचेंज पर किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर निशाना साधते हुए अखिलेश बोले "अंधेर नगरी चौपट राजा, दिन दहाड़े रेप, रात भर गांजा, जिसको देखना है, यूपी में आ जा।" उत्तर प्रदेश की हालत ऐसी हो गयी है कि पुलिस को पता ही नहीं है, वह किसको ठोक रही है।
तीनों नये कृषि कानूनों का खुल कर विरोध किया
इस महापंचायत में हजारों किसान उनको सुनने के लिए जुटे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन जिलाध्यक्ष गिरीश यादव और पूर्व सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह द्वारा की गयी। अखिलेश ने तीनों नये कृषि कानूनों का खुल कर विरोध किया। यह भी कहा कि पीएम मोदी और सीएम योगी कहते हैं Strawberry की खेती में बहुत मुनाफा होता है, लेकिन धान और मक्का किस भाव पर खरीदी जा रही है। किसानों को कितना घाटा हो रहा है। इस पर कभी चर्चा नहीं करते हैं। शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार देश में 42 हजार अनाज मंडियों की जरूरत है, लेकिन केवल सात हजार मंडियां हैं।
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2022 में सरकार बनने पर वह Yamuna Express Way पर मंडियां बनवाएंगे।
अखिलेश ने कहा कि उनकी सरकार के दौरान मैनपुरी, इटावा, कन्नौज में नई मंडियां बनी थीं। 2022 में सरकार बनने पर वह Yamuna Express Way पर मंडियां बनवाएंगे। कोरोना काल में जब सब काम धंधे बंद हो गए तो किसान खेत पर डटे रहे। नये कृषि कानून की लड़ाई लड़ रहे किसानों के साथ समाजवादी पार्टी पहले दिन से है। कोरोना काल में जब देश में दवाओं और खाद्य पदार्थों की ज़रूरत थी तो चंद बड़े कारोबारियों ने नये कृषि कानूनों की रूपरेखा तय करके सरकार द्वारा लागू करा दिया। फ़िर निजीकरण के नाम पर कुछ लोगों के हाथों में सब कुछ देने की साज़िश रची जा रही है।
दिल्ली सीमा पर किसानों के धरने के 100 दिन
किसानों के आंदोलन को नयी सरकार का भविष्य बताते हुए कहा कि किसानों का आंदोलन हो या राकेश टिकैत प्रकरण, हर जगह समाजवादी पार्टी समर्थन में रही। उन्होंने कहा कि जब अनुबंध पर खेती होगी तो मालिक तो कोई और होगा। ऐसे में जब खेत नहीं रहेंगे तो अन्नदाता, उसका परिवार और पीढ़ियां कैसे जिंदा रहेंगी। GDP की बात करने वाले नेता उसमें कृषि और किसान के योगदान की बात नहीं करते हैं। उलटे आज सरकारें किसानों को अपमानित कर रही है। ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। दिल्ली सीमा पर किसानों के धरने के 100 दिन हो चुके हैं।
कोरोना काल में लोगों के मुंह और नाक बंद हुए थे। लेकिन मौजूदा सरकार के आंख और कान भी बंद हो गए हैं। किसानों को रोकने के लिए सीमेंट की बैरिकेडिंग के साथ कीलें लगाई गईं। उनको लगातार प्रताड़ित किया गया। शीतकाल में 200 से ज़्यादा किसान आंदोलन करते हुए शहीद हो गए। उनके ख़िलाफ़ झूठे मुकदमे लिख कर कार्यवाही की गयी, लेकिन BJP वाले ये नहीं जानते जो किसान अपनी एड़ी की ठोकर से सख्त जमीन को दुरुस्त कर लेते हैं वो सरकार को ठीक कर देंगे। यही किसान इस सरकार को दिल्ली से बाहर भी कर देंगे।
धान सरकारी केंद्रों पर 900 से 1200 रुपये क्विंटल में लिया गया, जिसमें लागत तक नहीं निकली
उन्होंने कहा कि वो खुद भी किसान हैं। उनके पिता भी किसान है। इसलिए उनके पिता को लोग धरतीपुत्र के नाम से पुकारतें हैं और वे उनके पुत्र हैं। उन्होंने किसानों से यह भी पूछा़ कि आलू की खुदाई हो रही है। अलीगढ़ से कन्नौज तक कहां पर सरकार आलू खरीद रही है। धान सरकारी केंद्रों पर 900 से 1200 रुपये क्विंटल में लिया गया, जिसमें लागत तक नहीं निकली।
अगली महापंचायत कासगंज में होगी
अखिलेश यादव ने इस महापंचायत की शुरुआत अलीगढ़ के टप्पल से शुरू करते हुए यह भी बताया कि अगली महापंचायत कासगंज में होगी। जिसके बाद पश्चिम यूपी के तमाम जगहों पर किसान पंचायत के ज़रिये BJP और योगी सरकार पर हमला करने के साथ-साथ 2022 के राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद करेंगे। हालांकि, इसमें वो कितना कामयाब होते है, यह तो 2022 में होने वाले चुनाव के नतीजे ही बताएँगे।
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